दिनाजपुर (बांग्लादेश): बांग्लादेश के दिनाजपुर जिले में एक प्राचीन विष्णु प्रतिमा की खोज के बाद से वहां कुछ ऐसी अजीबोगरीब घटनाएं घटित हो रही हैं जिसने न सिर्फ स्थानीय ग्रामीणों को हैरान कर दिया है बल्कि प्रशासन और वैज्ञानिकों के लिए भी यह एक बड़ा रहस्य बन गया है। जिस जगह पर यह प्रतिमा मिली थी, वहां के तालाब अचानक सूख गए हैं और आसपास की जमीन बंजर होती जा रही है। ग्रामीणों का दावा है कि पिछले 600 साल में यहां ऐसा कभी नहीं हुआ और यह किसी दैवीय संकेत का प्रतीक हो सकता है।
क्या है पूरा मामला?
- हाल ही में, दिनाजपुर जिले के हरिनाथपुर गांव में एक निर्माण कार्य के दौरान बुलडोजर से खुदाई करते समय भगवान विष्णु की एक प्राचीन मूर्ति जमीन से निकली थी।
- यह मूर्ति काले पत्थर से बनी हुई है और इसका वजन लगभग 27 किलो है। मूर्ति में भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की छवि भी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है।
- मूर्ति की ऊंचाई 32 इंच और चौड़ाई 14 इंच है। मूर्ति पर कमल का निशान भी बना हुआ है जो इसे और भी खास बनाता है।
- स्थानीय प्रशासन ने इस मूर्ति को ऐतिहासिक धरोहर मानते हुए ढाका के राष्ट्रीय संग्रहालय में भेज दिया, लेकिन इसके बाद से ही इलाके में अजीबोगरीब घटनाएं होने लगीं।
तालाब सूख गए, जमीन बंजर होने लगी
- जिस तालाब से यह मूर्ति निकली थी, वह अचानक से सूख गया है। यह तालाब सैकड़ों साल से गांव वालों के लिए पानी का मुख्य स्रोत था।
- तालाब के सूखने के बाद आसपास की जमीन भी बंजर होने लगी है। जमीन में दरारें पड़ गई हैं और वहां कुछ भी उगना बंद हो गया है।
- ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले कभी भी यहां के तालाब नहीं सूखे थे और न ही जमीन इस तरह बंजर हुई थी। यह घटना पिछले 600 साल में पहली बार देखी गई है।
क्या है ऐतिहासिक पृष्ठभूमि?
- स्थानीय इतिहासकारों और ग्रामीणों के अनुसार, यहां 1400 ईस्वी के आसपास एक गणेश नामक प्रतिष्ठित हिंदू जमींदार रहते थे।
- जमींदार गणेश ने इस तालाब का निर्माण करवाया था और यहां एक भव्य महल तथा विष्णु मंदिर भी बनवाया था।
- समय के साथ मंदिर तो नष्ट हो गया, लेकिन महल के अवशेष आज भी मौजूद हैं। वर्तमान में इस महल पर मुस्लिम परिवारों का कब्जा है और यहां एक सरकारी स्कूल भी चलाया जा रहा है।
ग्रामीणों में फैला डर – क्या यह दैवीय प्रकोप है?
- ग्रामीणों का मानना है कि जमींदार गणेश भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे और उन्होंने यहां एक विशाल यज्ञ का आयोजन भी करवाया था।
- किवदंती है कि उन्होंने माता चंडी की शपथ लेकर इस स्थान को पवित्र बनाया था और अब मूर्ति का स्थानांतरण होने से यहां अशुभ घटनाएं हो रही हैं।
- कुछ लोग इसे भगवान विष्णु के अपमान का परिणाम मान रहे हैं तो कुछ का कहना है कि यह प्रकृति का कोई अज्ञात संकेत हो सकता है।

वैज्ञानिकों और प्रशासन की क्या राय है?
- स्थानीय प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए भूवैज्ञानिकों और पुरातत्व विभाग की एक टीम को जांच के लिए भेजा है।
- प्रारंभिक जांच में पता चला है कि तालाब के सूखने का कारण भूजल स्तर में अचानक गिरावट हो सकता है, लेकिन जमीन के बंजर होने का सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है।
- वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोई भूगर्भीय परिवर्तन हो सकता है, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
क्या है आगे की राह?
- प्रशासन ने ग्रामीणों को शांत रहने की सलाह दी है और मामले की गहन जांच का आश्वासन दिया है।
- पुरातत्व विभाग ने इस क्षेत्र में और खुदाई करने का निर्णय लिया है क्योंकि उन्हें लगता है कि यहां और भी प्राचीन धरोहरें मिल सकती हैं।
- स्थानीय लोगों ने मांग की है कि विष्णु प्रतिमा को वापस इसी स्थान पर स्थापित किया जाए ताकि शांति बहाल हो सके।
निष्कर्ष:
यह घटना अपने आप में एक अनसुलझा रहस्य बन चुकी है। क्या यह वाकई कोई दैवीय संकेत है या फिर प्रकृति का कोई अज्ञात खेल? क्या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण छुपा है या फिर यह इतिहास का कोई गूढ़ राज है जो अभी तक सामने नहीं आया? इन सभी सवालों के जवाब अभी बाकी हैं, लेकिन इतना तो तय है कि यह मामला आने वाले दिनों में और भी चर्चा का विषय बना रहेगा।