Reporter: Pratap Singh Baghel, Edit By: Mohit Jain
Morena: कहावत है जिसकी लाठी उसकी भैंस, और चंबल अंचल में यह कहावत आज भी सच साबित हो रही है। सरकार भले ही भूमिहीनों को पट्टा देकर उन्हें विकास की मुख्य धारा से जोड़ने की कोशिश कर रही हो, लेकिन दबंगों की दादागिरी के आगे सरकारी मंशा कमजोर पड़ती नजर आ रही है। ऐसा ही एक मामला मुरैना कलेक्ट्रेट कार्यालय में सामने आया, जहां एक युवक पटवारी और आरआई की शिकायत लेकर कलेक्टर के पास पहुंचा।
पीड़ित युवक का कहना है कि सरकार ने उसे जमीन का पट्टा तो दे दिया, लेकिन पिछले 20 सालों से उस जमीन पर दबंग फसल उगा रहे हैं। कई बार सरकारी फीस जमा करने के बावजूद पटवारी आज तक सीमांकन करने नहीं पहुंचा।

पूरा मामला
अंबाह तहसील के अंतर्गत ग्राम पंचायत खिरेटा के मजरा नयापुरा गांव निवासी कमल सिंह नट अपनी मां के साथ कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचा। कमल सिंह ने बताया कि वर्ष 2002 में सरकार ने उसे 5 बीघा जमीन का पट्टा दिया था। बटांकन के बाद उसने जमीन का सीमांकन कराने के लिए तहसील में एक नहीं बल्कि तीन बार सरकारी फीस जमा की, लेकिन इसके बावजूद पटवारी आज तक उसकी जमीन का सीमांकन करने नहीं गया।
कमल सिंह ने बताया कि उसने इस मामले की शिकायत कई बार तहसीलदार और एसडीएम से भी की, लेकिन कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई। अंततः थक-हारकर वह अपनी मां के साथ कलेक्टर से शिकायत करने पहुंचा है।
परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट
पीड़ित युवक कमल सिंह ने बताया कि वह पूरी तरह भूमिहीन है और जमीन के नाम पर उसके पास कुछ भी नहीं है। सरकार से पट्टा मिलने के बाद उसे उम्मीद जगी थी कि अब परिवार का भरण-पोषण आसान हो जाएगा, लेकिन दबंगों ने उसकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
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कमल सिंह के परिवार में माता-पिता, पत्नी और तीन छोटी बच्चियां हैं। पूरे परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर है। जमीन पर अधिकार न मिलने के कारण परिवार का पेट पालना उसके लिए दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है। अब पीड़ित परिवार को प्रशासन से न्याय की उम्मीद है।





