मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना उत्तर प्रदेश सरकार की एक जनकल्याणकारी पहल है, जो गरीब और श्रमिक वर्ग के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस योजना के अंतर्गत बेटी के जन्म पर ₹25,000 और बेटे के जन्म पर ₹20,000 की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। खास बात यह है कि दिव्यांग बालिका के जन्म पर सरकार ₹50,000 की सावधि जमा भी कराती है।
✅ क्या है मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना?
मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना का उद्देश्य पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को संतान के जन्म पर आर्थिक राहत देना है। यह योजना खासकर उन मजदूर परिवारों के लिए लाभकारी है, जिनकी आय का मुख्य स्रोत रोजाना की मेहनत-मजदूरी है।
🔹 योजना की मुख्य विशेषताएं:
- बेटे के जन्म पर ₹20,000 की सहायता राशि
- बेटी के जन्म पर ₹25,000 की सहायता राशि
- दिव्यांग बालिका के लिए ₹50,000 की सावधि जमा
- महिला श्रमिक को अस्पताल में प्रसव के बाद 3 महीने की न्यूनतम वेतन राशि और ₹1000 चिकित्सा बोनस
👶 बेटियों के लिए ज्यादा मदद क्यों?
सरकार द्वारा इस योजना के माध्यम से बालिकाओं के जन्म को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। यही वजह है कि बेटे की तुलना में बेटी के जन्म पर ₹5,000 अधिक दिए जाते हैं। यदि पहली या दूसरी संतान बेटी है, या कानूनी रूप से गोद ली गई बालिका है, तब भी ₹25,000 की सावधि जमा का प्रावधान है।
♿ दिव्यांग बालिकाओं के लिए विशेष प्रावधान
यदि जन्म से कोई बालिका दिव्यांग है, तो सरकार उसकी आर्थिक मदद के लिए ₹50,000 की सावधि जमा करती है। यह राशि बालिका के 18 वर्ष की आयु तक अविवाहित रहने पर मिलती है। रामपुर के सहायक श्रमायुक्त राजकुमार के अनुसार, वर्ष 2025-26 में अब तक 255 श्रमिक परिवारों को ₹95 लाख 71 हजार की सहायता दी जा चुकी है।
📋 मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना के लिए पात्रता और आवेदन प्रक्रिया
🔎 पात्रता शर्तें:
- श्रमिक की आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
- पिछले 12 महीनों में कम से कम 90 दिन तक निर्माण कार्य किया होना अनिवार्य है।
- पंजीकरण शुल्क: ₹20
- वार्षिक अंशदान: ₹20 (या एक बार में 3 साल के लिए ₹60)
📝 आवश्यक दस्तावेज़:
- आधार कार्ड
- पासपोर्ट साइज फोटो
🌐 आवेदन कैसे करें:
- निकटतम जन सेवा केंद्र (CSC) से आवेदन करें
- या www.upbocw.in पर ऑनलाइन फॉर्म भरें
📈 योजना के प्रभाव: समाज में जागरूकता और आत्मनिर्भरता
मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना की वजह से अब गरीब श्रमिक परिवार भी अपनी बेटियों के जन्म पर गर्व महसूस कर रहे हैं। यह योजना लैंगिक समानता और आर्थिक सुरक्षा के दिशा में एक ठोस कदम है। इससे समाज में बेटियों को लेकर नजरिया भी बदला है।
🔚 निष्कर्ष: एक बेहतर भविष्य की ओर उठाया गया सशक्त कदम
मातृत्व, शिशु एवं बालिका मदद योजना ने उत्तर प्रदेश के हजारों श्रमिक परिवारों को आर्थिक राहत दी है। खासकर बेटियों के लिए जो प्रावधान किए गए हैं, वो समाज में एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत है। यदि आप या आपके जानने वाले इस योजना के पात्र हैं, तो तुरंत आवेदन करें और इसका लाभ उठाएं।
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