रिपोर्ट- हिमांशु पटेल, जावेद खान, एडिट- विजय नंदन
रायपुर: छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत सुरक्षाबलों को एक और बड़ी सफलता मिली है। नारायणपुर जिले के अंतागढ़ क्षेत्र में सक्रिय 21 माओवादियों ने हथियार डाल दिए है। जिसमें केशकाल डिवीजन (नॉर्थ सब ज़ोनल ब्यूरो) की कुएमारी/किसकोदो एरिया कमेटी के डिवीजन कमेटी सचिव मुकेश सहित कुल 21 माओवादी कैडरों ने मुख्यधारा में शामिल होने के लिए आत्मसमर्पण किया है। इन 21 कैडरों में 4 डीवीसीएम (डिवीजनल वाइस कमेटी मेंबर), 9 एसीएम (एरिया कमेटी मेंबर) और 8 पार्टी मेंबर शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वालों में 13 महिला कैडर और 8 पुरुष कैडर हैं। माओवादियों ने 18 हथियार भी सौंपे हैं, जिनमें 3 एके 47 राइफल, 4 एसएलआर राइफल, 2 इंसास राइफल, 6 (.303) राइफल, 2 सिंगल शॉट राइफल और 1 बीजीएल (बैरल ग्रेनेड लॉन्चर) हथियार शामिल हैं।
#WATCH | Chhattisgarh: A total of 21 Maoist cadres with 18 weapons from the Kuemari/Kiskodo Area Committee of Keshkal Division (North Sub Zonal Bureau), including Division Committee Secretary Mukesh, have come forward to join the mainstream. 4 DVCM, 9 ACM and 8 Party Members… pic.twitter.com/Mvvtm7nejm
— ANI (@ANI) October 26, 2025
इससे पहले भी जिले में बड़े पैमाने पर नक्सलियों का आत्मसमर्पण हुआ था। हाल ही में 144 नक्सलियों ने सरेंडर किया था, जिससे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हुई और नक्सल गतिविधियों पर नियंत्रण बढ़ा। सरेंडर करने वाले नक्सली लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय थे और कई वारदातों में शामिल रहे हैं। उन्होंने अपने हथियार, गोला-बारूद और अन्य नक्सली सामग्री सुरक्षाबलों को सौंप दी। अधिकारियों के मुताबिक, यह आत्मसमर्पण सरकार की पुनर्वास नीति और लगातार चलाए जा रहे अभियान का परिणाम है।
पुलिस और प्रशासन ने बताया कि नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए आवश्यक सहायता और योजनाओं का लाभ दिलाया जाएगा। इस बड़ी सफलता से सुरक्षाबलों का मनोबल बढ़ा है और क्षेत्र में शांति स्थापना की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

लाल आतंक खात्मे की ओर है, नक्सली सरेंडर करने पर मजबूर क्यों हो गए हैं?
पहला कारण– ताबड़तोड़ एनकाउंटर से टूटी नक्सलियों की कमर
बीते डेढ़ साल में सुरक्षाबलों ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र में ताबड़तोड़ एनकाउंटर किए जिससे नक्सलियों की रीढ़ टूट गई।
दूसरा कारण- नक्सली आपूर्ति को किया प्रभावित
सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के उन ठिकानों पर भी धावा बोला जो उनके लिए सुरक्षित माने जाते हैं। सुरक्षाबल के जवानों ने नक्सलियों की हर तरह की आपूर्ति को बाधित कर दिया है। इस कारण से नक्सली संगठनों तक हथियार और राशन नहीं पहुंच पा रहा है।
तीसरा कारण- नियद नेल्लानार योजना का प्रभाव
सरकार ने नक्सल प्रभावित गांवों में विकास पहुंचाने के लिए सरकार ने नियद नेल्लानार योजना की शुरुआत की है। इस योजना का लाभ नक्सल प्रभावित लोगों को मिल रहा है। जिससे नक्सलवाद के खिलाफ उनका मोहभंग हुआ है और वे सुरक्षाबलों को सहयोग दे रहे हैं।
चौथा कारण-बड़े नेताओं के खात्मे से संगठन हुआ कमजोर
लाल आतंक का पर्याय माने जाने वाले सेंट्रल कमेटी मेंबर मोडेम बालकृष्ण, बसवाराजू, जयराम उर्फ चलपति, रेणुका जैसे नक्सलियों का एनकाउंटर कर दिया गया।
पांचवा कारण- नई सरेंडर पॉलिसी
सरकार की नई सरेंडर नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वालों को 120 दिनों के भीतर पुनर्वास की गारंटी दी जाती है. इसमें तीन साल के लिए 10,000 रुपये प्रतिमाह वजीफा, शहरी आवास के लिए जमीन या ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि देने का प्रावधान है. जो नक्सलियों को समाज की मुख्य धारा में लौटने पर मजबूर कर रही है। यही वो बड़े कारण है कि छोटे बड़े सभी नक्सली सरेंडर की कतार में लगने पर मजबूर हो गए हैं.ये वीडियो आपको पसंद आया तो लाइक करें शेयर करें और चैनल को सब्सक्राइब करना ना भूलें।





