BY: Yoganand Shrivastva
उज्जैन, उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में शनिवार तड़के अलौकिक वातावरण में भस्म आरती का आयोजन हुआ। जैसे ही मंदिर के कपाट खुलते हैं, समूचे परिसर में घंटियों की गूंज और भक्ति के स्वर वातावरण को पवित्र कर देते हैं। इस अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने बाबा महाकाल के दिव्य स्वरूप के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित किया।
स्वस्तिवाचन के साथ खुला सभा मंडप, शुरू हुआ पूजन
शनिवार की सुबह भोर बेला में सभा मंडप में वीरभद्र जी के कान में स्वस्तिवाचन कर, घंटी बजा कर भगवान से अनुमति ली गई। इसके बाद सभा मंडप के चांदी के पट खोले गए। गर्भगृह के द्वार खुलते ही पुजारियों द्वारा भगवान महाकाल का पिछला श्रृंगार उतारा गया और विधिपूर्वक पंचामृत स्नान प्रारंभ हुआ।
दूध-दही से लेकर फलरस तक, पंचामृत अभिषेक
जटाधारी भगवान महाकाल को जल से स्नान कराने के बाद दूध, दही, घी, शकर, शहद तथा ताजे फलों के रस से अभिषेक किया गया। इस विशेष अवसर पर भगवान को भांग, चंदन, ड्रायफ्रूट और भस्म अर्पित की गई। इसके बाद रजत से निर्मित चंद्र, त्रिशूल और शेषनाग मुकुट, मुण्डमाला और रुद्राक्ष की माला से भगवान का श्रृंगार हुआ।
बिल्व पत्र और पुष्पों से सजा त्रिनेत्रधारी शिव
भगवान महाकाल को विशेष रूप से बिल्वपत्र, चंदन और सुगंधित पुष्पों की मालाएं अर्पित की गईं। रजत मुकुट के साथ महाकाल का दिव्य स्वरूप निहारते ही भक्तगण मंत्रमुग्ध हो गए। नंदी महाराज का भी विशेष पूजन किया गया, जिसमें स्नान, ध्यान और पुष्प अर्पण शामिल रहे।
झांझ-मंजीरों और डमरुओं की गूंज में हुई भस्म आरती
श्रृंगार और पूजन के बाद झांझ, मंजीरे, डमरू और शंख की गूंज के साथ भस्म आरती का आयोजन हुआ। आरती के दौरान पूरे मंदिर परिसर में दिव्यता और ऊर्जा का अद्भुत संचार हुआ। इस भस्म आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और उन्होंने बाबा महाकाल से आशीर्वाद प्राप्त किया।
महा निर्वाणी अखाड़ा ने चढ़ाई भस्म
इस धार्मिक अवसर पर महा निर्वाणी अखाड़ा की ओर से बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई। धार्मिक मान्यता है कि जब भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की जाती है, तो वे निराकार से साकार रूप में दर्शन देते हैं। यह आरती शिवभक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिसमें भगवान स्वयं भक्तों को अपने साक्षात रूप में दर्शन देते हैं।
फल-मिष्ठान से हुआ भोग, दिव्य दर्शन का अद्भुत अनुभव
पूजन के उपरांत भगवान को फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया। श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया गया और सभी भक्तों ने इस दिव्य आयोजन में शामिल होकर स्वयं को धन्य महसूस किया।
महाकाल की भस्म आरती केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और आत्मिक ऊर्जा का अद्वितीय संगम है। हर शनिवार तड़के उज्जैन में होने वाला यह आयोजन न केवल दर्शनीय होता है, बल्कि आत्मा को साक्षात शिव के सान्निध्य का अनुभव कराता है।