म्यूजिक इंडस्ट्री पर आधारित सीरीज खलबली रिकॉर्ड्स आ चुकी है। इसमें फिल्मकार ने कुछ बातें ऐसी बताई हैं जो अक्सर मुंबई के गॉसिप गलियारों में सुनी जाती हैं। और, संगीत कंपनियों की इस प्रतिद्वंदिता में इंसानियत कैसे ताक पर रखी जाती है, ये भी जियो सिनेमा की ताजा सीरीज ‘खलबली रिकॉर्ड्स’ में साफ साफ देखा जा सकता है।
क्या है सीरीज की कहानी
आठ एपिसोड की इस वेब सीरीज ‘खलबली रिकॉर्ड्स’ में गानों की भरमार है। सीरीज देखते समय बार बार वह म्यूजिक कंपनी भी याद आती रहती है, जिसके मालिक का कत्ल सरेबाजार दिन दहाड़े कर दिया गया था। यहां काम उस गायक का तमाम होता है, जिससे ये सारी सियासत शुरू होती है। मामला संगीत का हो तो सारे सुर सही लग रहे हों, ये जरूरी भी नहीं है। अकड़ू मालिकों की अपनी एक भाषा वेब सीरीज लिखने वालों ने गढ़ ली है, और वह यहां भी है। ‘बंदिश बैंडिट्स’ और ‘चमक’ के बाद सीरीज ‘खलबली रिकॉर्ड्स’ में भी कहानी सुरों की साजिशों की है। बस, यहां एक बगावत है। गंदगी के बीच एक बेटे की सब कुछ सही से करने की कोशिश है।
कैसी है एक्टरों की कलाकारी
वेब सीरीज ‘खलबली रिकॉर्ड्स’ के सारे कलाकार अपना अपना फार्म लेकर आए हैं। पहली बार उनको फ्रेम में देखते ही दर्शक किरदार का पूरा ग्राफ खुद ही बता सकता है। राम कपूर यहां सबसे सीनियर कलाकार हैं। कोशिश भी वह सीरीज को शुरू से आखिर तक साधे रहने की करते दिखते हैं लेकिन उनकी अपनी अभिनय सीमाएं हैं। और, उनका एक सीमित टीवी दर्शक वर्ग है जिसे ऐसी कहानियों में खास दिलचस्पी होती नहीं है। हां, बगावत का झंडा बुलंद करने वाले बेटे के किरदार में स्कंद ठाकुर जरूर अपनी छाप छोड़ते दिखते हैं। स्कंद का किरदार काफी सरल है लेकिन इसमें भी उनकी मेहनत दिखती। मौज के किरदार में प्रभजोत को थोड़ा मेहनत करने की जरूरत है।
कैसा है सीरीज का प्रोडक्शन और संगीत
सीरीज का निर्देशन देवांशु सिंह ने किया है वहीं, प्रोडक्शन डिजाइनर प्रियंका ग्रोवर है। बाकी टीम में सिनेमैटोग्राफी सीरीज की और मेहनत मांगती है। लेखन टीम में भी कमियां हैं। सीरीज अपने विचार के स्तर पर ही कमजोर कहानी है। संगीत कंपनियों के भीतर की वे सिर्फ वही कहानियां बाहर ला पाएं हैं, जो लोगों को पहले से पता हैं। सीरीज की सबसे कमजोर कड़ी इसका म्यूजिक ही है। अमित त्रिवेदी के नाम से इसे देखने का मन बहुत किया लेकिन पूरी सीरीज में चूंकि पंजाबी गानों की भरमार है, लिहाजा धुन पसंद आने पर भी किसी गाने का गुनगुनाने लायक असर भी आखिर में बचता नहीं है।