ज्योति याराजी ने भारतीय एथलेटिक्स में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वे आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम की रहने वाली हैं और हाल ही में दक्षिण कोरिया में हुए एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 100 मीटर हर्डल्स में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है। आइए जानते हैं उनकी प्रेरणादायक कहानी, जिसमें संघर्ष और सफलता दोनों हैं।
ज्योति याराजी का संघर्ष और सफलता का सफर
ज्योति याराजी का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ, जहां उनके पिता गार्ड के रूप में काम करते थे और माता गृहस्थी संभालती थीं। आर्थिक तंगी के बावजूद, उन्होंने खेल और पढ़ाई दोनों में उत्कृष्टता हासिल की।
ज्योति के जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव:
- शुरुआती दौर: बचपन में स्थानीय स्तर पर हर्डल रेस में जीत के साथ अपनी प्रतिभा का परिचय दिया।
- राज्य स्तरीय सफलता: इंटर-डिस्ट्रिक्ट प्रतियोगिता में जीत के बाद उन्हें स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI), हैदराबाद में प्रशिक्षण मिला।
- लगातार सुधार: SAI और रिलायंस फाउंडेशन के सहयोग से राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पकड़ बनाई।
- चोटों से वापसी: चोट लगने के बाद भी हार नहीं मानी और बेहतर प्रदर्शन किया।
- व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ: 2022 में उन्होंने 12.7 सेकंड का रिकॉर्ड बनाया।
एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में गोल्ड मेडल
26वें एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप, गुमी, दक्षिण कोरिया में, ज्योति ने 100 मीटर हर्डल्स में 12.9 सेकंड में दौड़ पूरी कर गोल्ड मेडल जीता।
- रिकॉर्ड टाइम: 12.9 सेकंड, जो उनके पिछले प्रदर्शन से बेहतर था।
- राष्ट्रीय गौरव: इस जीत ने पूरे देश और विशेष रूप से आंध्र प्रदेश में खुशी की लहर दौड़ाई।
नेताओं और देशवासियों की बधाइयां
ज्योति की इस शानदार उपलब्धि पर कई राजनेताओं ने उन्हें बधाई दी:
- मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने ट्विटर पर उन्हें “तेलुगु बेटी” बताते हुए बधाई दी।
- पूर्व मुख्यमंत्री और YSRCP प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने भी उन्हें शुभकामनाएं दीं।
ज्योति ने अपने इंटरव्यू में बताया कि उनका सपना अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारना और माता-पिता की कठिनाइयों को खत्म करना है।
ज्योति याराजी की खास बातें
- प्राकृतिक प्रतिभा: लंबाई और तेज दौड़ने की क्षमता।
- कड़ी मेहनत: SAI और रिलायंस फाउंडेशन से निरंतर प्रशिक्षण।
- दृढ़ संकल्प: चोटों और चुनौतियों के बावजूद हार नहीं मानी।
- सपोर्ट सिस्टम: परिवार, कोच और संस्थानों का मजबूत सहयोग।
भारतीय एथलेटिक्स पर ज्योति का प्रभाव
- युवाओं, खासकर लड़कियों को खेलों में आने के लिए प्रेरित किया।
- ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खेल प्रतिभा की खोज को बढ़ावा दिया।
- महिला एथलीटों के लिए समर्थन और निवेश बढ़ाने का संदेश दिया।
निष्कर्ष: उज्ज्वल भविष्य की ओर
विशाखापत्तनम की बेटी ज्योति याराजी ने साबित कर दिया कि मेहनत, लगन और हिम्मत से हर बाधा को पार किया जा सकता है। भारत और आंध्र प्रदेश के लिए गौरव का विषय बनीं ज्योति का भविष्य और भी उज्ज्वल है, और वे नए रिकॉर्ड बनाकर देश का नाम आगे भी रोशन करेंगी।