रिपोर्ट- रतन कुमार
जामताड़ा में निकली ‘राष्ट्रीय सरना धर्म न्याय यात्रा’
जामताड़ा: सरना धर्म कोड की मान्यता को लेकर आदिवासी समुदाय की आवाज़ एक बार फिर बुलंद हुई है। इसी कड़ी में जामताड़ा जिले में रविवार को ‘राष्ट्रीय सरना धर्म न्याय यात्रा’ निकाली गई, जिसमें सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग शामिल हुए।
कोर्ट रोड से नगर भवन तक निकली यात्रा
यह यात्रा जामताड़ा के कोर्ट रोड से आरंभ होकर नगर भवन दुलाडडीह तक पहुंची, जहां पर प्रमंडलीय यूथ सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस यात्रा और सम्मेलन में देशभर से आए सरना अनुयायियों ने हिस्सा लिया।
प्रमुख हस्तियों ने की संबोधित
सम्मेलन के मुख्य अतिथि विश्व सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा थे, वहीं राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय पहान समेत कई अन्य नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि जनगणना 2026 में सरना धर्म कोड को मान्यता मिलनी चाहिए, ताकि आदिवासी समाज की धार्मिक पहचान संरक्षित रह सके।
वोट बहिष्कार की चेतावनी
वक्ताओं ने चेतावनी दी कि अगर सरकार द्वारा सरना धर्म कोड की मांग को अनदेखा किया गया, तो आदिवासी समाज एकजुट होकर वोट का बहिष्कार करेगा। यह निर्णय उन्होंने ‘अपने अस्तित्व और पहचान’ की रक्षा के लिए जरूरी बताया।
क्या है सरना धर्म कोड की मांग?
सरना धर्म कोड की मांग लंबे समय से उठ रही है। आदिवासी समुदाय का कहना है कि उनका धर्म न तो हिंदू है, न मुस्लिम और न ही ईसाई, बल्कि एक अलग पहचान रखता है जिसे संविधान में मान्यता मिलनी चाहिए।
यात्रा का संदेश
‘राष्ट्रीय सरना धर्म न्याय यात्रा’ का उद्देश्य न सिर्फ सरकार तक अपनी बात पहुंचाना है, बल्कि युवा पीढ़ी को भी अपने मूल धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक करना है।