बीजिंग में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन से इतर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अहम मुलाकात हुई है। खास बात यह रही कि शी जिनपिंग करीब 20 दिनों के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से नजर आए हैं। इस दौरान भारत की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश भी उन्हें सौंपा गया।
क्यों बनी थी शी जिनपिंग की गैर-मौजूदगी चर्चा का विषय?
पिछले कुछ हफ्तों से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सार्वजनिक अनुपस्थिति को लेकर कयासों का बाजार गर्म था।
- 24 जून को उन्हें आखिरी बार सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वांग के साथ बीजिंग में देखा गया था।
- इसके बाद वे BRICS सम्मेलन और अन्य महत्वपूर्ण आयोजनों से नदारद रहे।
- कुछ रिपोर्ट्स में साइलेंट तख्तापलट की भी आशंका जताई जा रही थी।
ऐसे में एस जयशंकर से उनकी यह मुलाकात इन अफवाहों पर विराम लगाती है।
एस जयशंकर ने दी जानकारी
विदेश मंत्री जयशंकर ने इस मुलाकात की जानकारी एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा करते हुए लिखा:
Called on President Xi Jinping this morning in Beijing along with my fellow SCO Foreign Ministers.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 15, 2025
Conveyed the greetings of President Droupadi Murmu & Prime Minister @narendramodi.
Apprised President Xi of the recent development of our bilateral ties. Value the guidance of… pic.twitter.com/tNfmEzpJGl
“आज सुबह बीजिंग में अपने साथी एससीओ विदेश मंत्रियों के साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन सौंपा। द्विपक्षीय संबंधों में हाल की प्रगति से अवगत कराया और हमारे नेताओं के मार्गदर्शन को महत्व देने की बात कही।”
चीन दौरे पर हैं जयशंकर
- एस जयशंकर इस समय आधिकारिक चीन यात्रा पर हैं।
- बीजिंग में उच्चस्तरीय बैठकों के बाद वे तिआनजिन जाएंगे, जहां आज SCO सम्मेलन का आयोजन हो रहा है।
क्या है SCO (शंघाई सहयोग संगठन)?
SCO एक बहुपक्षीय संगठन है जिसका गठन क्षेत्रीय सहयोग और सुरक्षा को लेकर किया गया है। इसके सदस्य देशों में शामिल हैं:
- भारत
- चीन
- रूस
- पाकिस्तान
- कजाकिस्तान
- ताजिकिस्तान
- उज़्बेकिस्तान
- किर्गिजस्तान
- ईरान
इसके अलावा कई पर्यवेक्षक और संवाद भागीदार देश भी इससे जुड़े हैं।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की लंबी चुप्पी के बाद एस जयशंकर से उनकी यह मुलाकात सिर्फ राजनयिक लिहाज से नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी एक बड़ा संकेत मानी जा रही है। इससे न केवल भारत-चीन संबंधों को मजबूती मिली है, बल्कि हाल की अफवाहों पर भी विराम लगा है।





