ईरान, इज़राइल और अमेरिका के बीच चल रहे तनाव ने दुनिया भर की नजरें खींच ली हैं। हाल ही में अमेरिकी हमले में ईरान की तीन अहम न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया गया। अमेरिका का दावा है कि उसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। लेकिन ताजा रिपोर्ट्स कुछ और ही इशारा कर रही हैं। क्या वाकई ईरान ने अमेरिका को मात दे दी? आइए जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम की परत-दर-परत।
अमेरिका ने किन न्यूक्लियर साइट्स पर किया हमला?
अमेरिका द्वारा ईरान की जिन तीन मुख्य न्यूक्लियर साइट्स को निशाना बनाया गया, उनके नाम हैं:
- नतंज (Natanz): ईरान की सबसे बड़ी यूरेनियम संवर्धन (Enrichment) सुविधा।
- फर्दो (Fordow): सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण साइट, जहां उच्च शुद्धता वाला यूरेनियम स्टोर किया जाता है।
- इस्फहान (Isfahan): न्यूक्लियर रिसर्च और यूरेनियम कन्वर्जन से जुड़ी अहम साइट।
अमेरिका ने इन साइट्स पर अत्याधुनिक B-2 बॉम्बर्स और GBU-57 पेनिट्रेटिंग बम का इस्तेमाल किया। इन बमों को खास तौर पर गहरी भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।
सैटेलाइट तस्वीरें क्या बताती हैं?
हमले के बाद सामने आईं सैटेलाइट तस्वीरों में साफ देखा गया कि इन साइट्स पर भारी नुकसान हुआ है। खासतौर पर:
- इस्फहान साइट: स्पष्ट रूप से क्षतिग्रस्त दिख रही है।
- नतंज: बड़े पैमाने पर नुकसान की पुष्टि।
- फर्दो: यह साइट पहाड़ के अंदर गहराई में स्थित है, इसलिए नुकसान का वास्तविक स्तर अभी स्पष्ट नहीं।
लेकिन यहां बड़ा सवाल उठता है कि अगर सबसे अहम साइट फर्दो को अमेरिका ने तबाह कर भी दिया, तो क्या ईरान का परमाणु कार्यक्रम वाकई रुक गया?
ईरान की चाल: 400 किलो एनरिच्ड यूरेनियम पहले ही शिफ्ट कर दिया गया!
कई खुफिया रिपोर्ट्स और सैटेलाइट इमेजेस के मुताबिक, अमेरिका के हमले से कुछ ही घंटे या दिन पहले ईरान ने 400 किलोग्राम उच्च शुद्धता (60%) एनरिच्ड यूरेनियम को फर्दो साइट से कहीं और शिफ्ट कर दिया।
साक्ष्य के रूप में:
- 19 और 20 जून को फर्दो साइट पर भारी संख्या में ट्रक और मशीनरी देखी गई।
- इन ट्रकों की मदद से यूरेनियम को अज्ञात स्थान पर भेजा गया, जिसे संभवतः भूमिगत बंकर में रखा गया है।
- ईरान ने पिछले कुछ दिनों से IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) के निरीक्षकों को साइट पर जाने की अनुमति नहीं दी थी।
60% शुद्धता वाला यूरेनियम क्यों खतरनाक है?
- सिर्फ एक स्टेप बाकी होता है इसे 90% वेपन-ग्रेड यूरेनियम में बदलने के लिए।
- 400 किलो 60% एनरिच्ड यूरेनियम से ईरान 4 से 5 परमाणु बम बना सकता है।
- इसका मतलब, ईरान अब भी विश्व में न्यूक्लियर खतरे के रूप में बरकरार है।
क्या अमेरिका की खुफिया एजेंसियां चूक गईं?
सवाल उठ रहे हैं कि:
- क्या अमेरिका की सैटेलाइट निगरानी प्रणाली में खामी रही?
- क्या ईरान ने जानबूझकर सिविलियन ट्रकों का इस्तेमाल कर मूवमेंट छुपाया?
- क्या ईरान ने इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के जरिए अमेरिका को भ्रमित किया?
- क्या अमेरिका ने पर्याप्त खुफिया जानकारी के बिना जल्दबाजी में स्ट्राइक कर दिया?
अमेरिका के लिए संभावित असफलता
अगर यह रिपोर्ट्स सही साबित होती हैं तो:
- अमेरिका का मुख्य उद्देश्य – ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को रोकना – आंशिक रूप से विफल माना जाएगा।
- ईरान की ‘परमाणु क्षमता’ अभी भी बरकरार रहेगी।
- यह ईरान को वैश्विक राजनीति में मजबूती से सौदेबाजी करने का मौका देगा।
- अमेरिका की मिलिट्री सफलता पर सवाल खड़े होंगे।
ईरान के लिए रणनीतिक बढ़त
- ईरान अपने घरेलू मोर्चे पर इसे “साइकोलॉजिकल विक्ट्री” के रूप में दिखा रहा है।
- न्यूक्लियर क्षमता सुरक्षित रहने की खबरें ईरान की बातचीत की स्थिति को मजबूत करेंगी।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईरान को एक सख्त और तैयार देश की छवि मिल सकती है।
निष्कर्ष: क्या तनाव और बढ़ेगा?
- फिलहाल तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं है।
- अगर यूरेनियम वाकई सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है, तो अमेरिका और पश्चिमी देशों की रणनीति पर गंभीर असर पड़ेगा।
- आने वाले दिनों में IAEA या अन्य खुफिया रिपोर्ट्स से स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
- लेकिन एक बात तय है, मिडिल ईस्ट में न्यूक्लियर तनाव अभी खत्म नहीं हुआ है।
उपयोगी तथ्य: प्राकृतिक यूरेनियम में कितना U-235 होता है?
सामान्य प्राकृतिक यूरेनियम में लगभग 0.7% U-235 होता है, जो कि न्यूक्लियर फ्यूल और हथियारों में उपयोग किया जाता है।
अंतिम शब्द
ईरान-अमेरिका तनाव से जुड़ी यह खबर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर शक्ति संतुलन का बड़ा संकेत है। आने वाले हफ्तों में इस पर पैनी नजर रखना जरूरी होगा।