अमेरिकी टैरिफ नीतियों के बीच भारत ने अपने कूटनीतिक दांव से वाशिंगटन को मुश्किल में डाल दिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर की मॉस्को यात्रा के दौरान उठाए गए कदमों ने एक बार फिर अमेरिका को चौंका दिया। जयशंकर ने रूसी कंपनियों को भारत में निवेश का न्यौता देकर साफ संकेत दिया है कि भारत केवल एक देश पर निर्भर नहीं रहेगा।
यदि रूसी कंपनियां भारत में निवेश के लिए आगे आती हैं, तो यह अमेरिका की आर्थिक नीतियों को बड़ा झटका साबित हो सकता है।
जयशंकर का मॉस्को में बड़ा बयान
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मॉस्को में 26वें भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के सत्र को संबोधित किया।
मुख्य बिंदु:
- रूसी कंपनियों को भारत में निवेश का आमंत्रण
- भारत-यूरेशियन आर्थिक संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते को जल्द अंतिम रूप देने पर जोर
- टैरिफ, लॉजिस्टिक्स और भुगतान तंत्र जैसी चुनौतियों को दूर करने का आश्वासन
- भारत-रूस बिजनेस फोरम में संबोधन कर व्यापारिक साझेदारी को नए आयाम देने पर जोर
जयशंकर ने कहा कि यदि दोनों देश इन बाधाओं को मिलकर दूर करें, तो व्यापार और निवेश के क्षेत्र में अपार संभावनाओं का लाभ उठाया जा सकता है।
Speaking at the India-Russia Business Forum in Moscow.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) August 20, 2025
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भारत-रूस एजेंडे का विस्तार जरूरी
जयशंकर ने दोनों देशों को आपसी परामर्श के माध्यम से अपने एजेंडे को और विविध बनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि:
- भारत और रूस को नए-नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना चाहिए।
- व्यापारिक साझेदारी को मजबूती देने के लिए स्पष्ट लक्ष्य और समय-सीमा तय करनी होगी।
- विचारों और नीतियों के दो-तरफा प्रवाह के लिए समन्वय तंत्र जरूरी है।
चीन के साथ भी बढ़ा सहयोग
अमेरिकी टैरिफ के जवाब में भारत केवल रूस पर ही नहीं, बल्कि चीन के साथ भी रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूत कर रहा है। हाल ही में चीन के साथ हुई उच्च स्तरीय बैठकों ने इसे और स्पष्ट किया है।
भारत का यह कदम अमेरिका को साफ संदेश देता है कि वह बहु-आयामी व्यापारिक साझेदारियां चाहता है, न कि किसी एक देश पर निर्भर रहना। खासकर ऐसे देश पर नहीं, जो दोहरे मापदंड अपनाता हो।
भारत ने रूस के लिए अपने द्वार खोलकर अमेरिकी टैरिफ नीतियों को चुनौती दी है। जयशंकर का यह कदम बताता है कि भारत अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाकर बहु-देशीय सहयोग पर जोर दे रहा है। आने वाले समय में यह रणनीति भारत को वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में और मजबूत स्थिति दिला सकती है।





