BY: Yoganand Shrivastva
भारत ने अपनी सैन्य शक्ति को और अधिक मजबूत करने के लिए 156 मेड इन इंडिया लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) ‘प्रचंड’ खरीदने के लिए अब तक के सबसे बड़े रक्षा सौदे को मंजूरी दे दी है। इस फैसले को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने हरी झंडी दिखाई है। रक्षा मंत्रालय ने इस वित्तीय वर्ष में 2.09 लाख करोड़ रुपये से अधिक के रक्षा अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे भारतीय सेना और वायुसेना की ताकत को और बढ़ावा मिलेगा।
देश में ही बनेगा ‘प्रचंड’
इस ऐतिहासिक रक्षा सौदे के तहत, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को 156 हेलीकॉप्टरों का निर्माण करने का ऑर्डर मिला है। यह HAL के इतिहास का सबसे बड़ा ऑर्डर माना जा रहा है। इन हेलीकॉप्टरों का निर्माण कर्नाटक के बेंगलुरु और तुमकुर स्थित प्लांट्स में किया जाएगा। यह सौदा ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत भारत की रक्षा उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देगा।
‘प्रचंड’ की खासियतें – दुनिया का सबसे ताकतवर अटैक हेलीकॉप्टर
🔹 16,400 फीट की ऊंचाई पर भी उड़ान भरने में सक्षम – ‘प्रचंड’ दुनिया का एकमात्र अटैक हेलीकॉप्टर है जो इतनी अधिक ऊंचाई पर भी अपनी पूरी ताकत के साथ काम कर सकता है।
🔹 भारतीय सेना के ऊंचाई वाले इलाकों के लिए डिजाइन किया गया – इसे मुख्य रूप से सियाचिन, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश जैसे ऊंचे और दुर्गम इलाकों में तैनात करने के लिए तैयार किया गया है।
🔹 हवा से जमीन और हवा से हवा में हमला करने की क्षमता – यह कई प्रकार की एयर-टू-ग्राउंड और एयर-टू-एयर मिसाइलें दाग सकता है, जिससे दुश्मन की हवाई रक्षा प्रणाली को खत्म किया जा सकता है।
🔹 भारतीय वायुसेना के बेड़े को मिलेगा नया आयाम – इन हेलीकॉप्टरों के शामिल होने से भारतीय वायुसेना को दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमला करने की एक नई ताकत मिलेगी।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा
इस सौदे के जरिए भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ा चुका है। इससे पहले भी सरकार ने 83 लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस का सबसे बड़ा ऑर्डर दिया था। अब 97 और एलसीए के ऑर्डर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। हाल ही में 307 ATAGS हॉवित्जर तोपों की खरीद को भी कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है।
इस तरह, भारत तेजी से दुनिया की सबसे आधुनिक और आत्मनिर्भर रक्षा ताकत बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ‘प्रचंड’ का सेना में शामिल होना न केवल भारतीय सैन्य शक्ति को बढ़ाएगा बल्कि स्वदेशी रक्षा उत्पादन को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
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