अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर (लगभग 8,300 करोड़ रुपये) के ऋण की तत्काल मंजूरी दे दी है। यह राशि विस्तारित ऋण सुविधा (ईईएफ) कार्यक्रम के तहत दी जाएगी। इसके साथ ही आईएमएफ ने पाकिस्तान को 1.4 अरब डॉलर की अतिरिक्त सहायता भी मंजूर की है।
भारत ने क्यों किया विरोध?
भारत ने इस ऋण पर मतदान से खुद को दूर रखा, क्योंकि उसका मानना है कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय धन का उपयोग आतंकवाद को फंडिंग करने में करता है। भारतीय वित्त मंत्रालय ने कहा:
“पाकिस्तान को ऋण देना एक खतरनाक संदेश देता है। वैश्विक संस्थाओं को नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए।”
भारत का यह विरोध 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आया, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हो गई थी। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान आईएमएफ के पैसे का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने में कर रहा है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने आईएमएफ के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि “भारत की साजिश विफल हो गई है।” पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने दावा किया:
“हमारी अर्थव्यवस्था सुधर रही है। भारत हमारे विकास को रोकने की कोशिश कर रहा है।”
मुख्य बिंदु:
- आईएमएफ ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की मंजूरी दी।
- भारत ने मतदान से दूरी बनाई, आतंकी वित्तपोषण को लेकर चेतावनी दी।
- पाकिस्तान ने दावा किया कि उसकी अर्थव्यवस्था सुधर रही है।
- पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव बढ़ा।
यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है?
यह फैसला वैश्विक अर्थव्यवस्था और राजनीति के बीच की कड़ी को दिखाता है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति खराब होने और भारत-पाकिस्तान संबंधों में तनाव बढ़ने के बीच, आईएमएफ का यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।