दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक फैसला दिया है, दरअसल अब सुप्रीम कोर्ट ने सम्मानजनक मृत्यु का अधिकार लागू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई में यह फैसला दिया। बता दें कि कोर्ट ने कर्नाटक राज्य में यह अधिकार लागू कर दिया है। अब जो भी असाध्य बीमारी से ग्रसिस्त है, उन्हें सम्मानजनक मृत्यु का अधिकार दिया गया है। यह आदेश राज्य के सभी सरकारी और निजी चिकितसा संस्थानों में लागू कर दिया गया है। बता दें कि इस नए कानून में ऐसे लोगों को सम्मान से मृत्यु का अधिकार दिया गया है, जो कि बीमारी के चलते ठीक नहीं हो पा रहे है।
किन परिस्थिति में मिलेगी अनुमति
कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने ऐलान किया कि राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने ‘मरीजों को सम्मान के साथ मौत का अधिकारश् संबंधी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को लागू करने के लिए ऐतिहासिक आदेश जारी किया है। स्वास्थ्य मंत्री ने x पर एक पोस्ट में कहा कि विभाग ने एक अग्रिम मेडिकल निर्देश जारी किया है, जिसमें मरीज भविष्य में अपने इलाज के बारे में अपनी इच्छा दर्ज करा सकते हैं।
मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा कि यह निर्णय ष्चिकित्सकों और उन मरीजों के परिवारों के लिए फायदेमंद होगा, जिनकी कोई उम्मीद नहीं है। मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि यह निर्णय आत्महत्या से भ्रमित नहीं होना चाहिए और यह केवल उन मरीजों पर लागू होता है जो जीवन समर्थन प्रणाली पर हैं और जीवन रक्षक उपचार से प्रतिक्रिया नहीं कर रहे हैं।
क्या है राज्य सरकार का आदेश
गुरुवार को जारी किए गए एक औपचारिक आदेश में राज्य सरकार ने कहा कि कोई भी न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, सर्जन, एनेस्थेटिस्ट या इंटेंसिविस्ट, जिसे मानव अंग और ट्रांसप्लांट अधिनियम, 1994 के तहत उपयुक्त प्राधिकारी ने अनुमोदित किया है, उसे जिला स्वास्थ्य अधिकारी ऐसी मौतों को प्रमाणित करने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों के द्वितीयक बोर्ड के सदस्य के रूप में नामित करेगा।
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