BY: Yoganand Shrivastva
सतना की दिल दहला देने वाली घटना: इंसानियत पर एक और चोट
मध्य प्रदेश के सतना जिले से एक बेहद दर्दनाक और झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया। जिला अस्पताल में अपने परिजन से मिलने आए एक गरीब युवक को महज शक के आधार पर कुछ लोगों ने इतनी बेरहमी से पीटा कि वह गंभीर रूप से घायल हो गया। युवक की जेब से सिर्फ दो सूखी रोटियां और नमक की पुड़िया मिली, जो उसके हालात बयां करने के लिए काफी थीं।
भीड़ का क्रूर चेहरा: बिना सबूत के इंसाफ?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, युवक जैसे ही अस्पताल परिसर में पहुंचा, कुछ लोगों ने उस पर चोरी का आरोप लगाते हुए घेर लिया। बिना किसी पुष्टि या जांच के, लोगों ने उस पर लाठियों और घूंसों की बौछार कर दी। युवक दर्द से तड़पता रहा, बार-बार खुद को निर्दोष बताता रहा, लेकिन किसी ने उसकी एक न सुनी।
पिटाई के बाद जब लोगों ने उसकी तलाशी ली, तब उसकी जेब से जो निकला, वह सबकी आंखें खोल देने वाला था—दो सूखी रोटियां और नमक की एक छोटी पुड़िया।
मार खाते हुए कहता रहा – “मैं चोर नहीं हूं”
मौके पर मौजूद लोगों के मुताबिक, पीड़ित युवक बेहद गरीब था और साफ तौर पर किसी अपराधी जैसा नहीं दिखता था। वह लगातार कहता रहा कि वह चोरी करने नहीं, बल्कि अपने बीमार परिजन से मिलने आया है। लेकिन उग्र भीड़ ने उसकी एक न सुनी।
जब रोटियां और नमक निकले, तो कुछ लोगों के चेहरे शर्म से झुक गए, मगर उन्होंने न माफी मांगी, न मदद की – चुपचाप भाग खड़े हुए।
प्रशासन की खामोशी और न्याय की उम्मीद
इस घटना की जानकारी पुलिस को दी गई, लेकिन अब तक किसी भी हमलावर के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। प्रशासन की निष्क्रियता से लोगों में गुस्सा है। स्थानीय ग्रामीणों और समाजसेवियों ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है और पीड़ित को इंसाफ दिलाने की अपील की है।
एक सवाल: क्या संवेदनाएं खत्म हो गई हैं?
यह घटना केवल एक व्यक्ति की पिटाई नहीं, बल्कि पूरे समाज के गिरते स्तर की कहानी कहती है। एक गरीब, भूखा व्यक्ति जिसे मदद मिलनी चाहिए थी, उसे शक के बिना पर अधमरा कर दिया गया। समाज में बढ़ती असहिष्णुता और भीड़ द्वारा कानून हाथ में लेने की प्रवृत्ति पर यह एक कड़ा प्रश्न है।
सोचिए:
- क्या अब किसी की गरीबी शक का कारण बन गई है?
- क्या समाज इतना संवेदनहीन हो चुका है कि भूखे को देख कर दया नहीं, संदेह होता है?