REPORT- RUPESH SONI
BY- ISA AHMAD
कछुए के प्रकट होने को श्रद्धालुओं ने माना शुभ संकेत
हजारीबाग। नवरात्रि के पावन अवसर पर रेवाली मंगलवार को भक्ति और उल्लास से सराबोर रहा। यहां पारंपरिक विधि-विधान के साथ अष्टमी और संधि पूजा का आयोजन धूमधाम से सम्पन्न हुआ। सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ मंदिर प्रांगण में उमड़ पड़ी।
पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान
सुबह 10 बजे मुख्य पुजारी अमित मिश्रा के नेतृत्व में अष्टमी पूजा की शुरुआत हुई। वहीं दोपहर 2 बजे संधि बलि की धार्मिक प्रक्रिया संपन्न की गई। इस दौरान श्रद्धालु मां दुर्गा के जयकारों के साथ आराधना में लीन रहे।
कछुए का प्रकट होना बना आकर्षण
पूजा-अर्चना के बीच मंदिर परिसर के गर्भगृह के पास अचानक एक कछुआ दिखाई देने से श्रद्धालुओं में रोमांच फैल गया। लोग इसे चमत्कारिक घटना मानकर देखने के लिए जुट पड़े। मुख्य पुजारी ने बताया कि पूजा के समय कछुए का प्रकट होना शुभ संकेत माना जाता है।
- मान्यताओं के अनुसार कछुआ भगवान विष्णु के दशावतारों से जुड़ा हुआ है।
- इसका दर्शन सुख-समृद्धि और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
भक्ति से सराबोर वातावरण
पूरे आयोजन के दौरान “जय माता दी” के जयकारों से वातावरण गूंजता रहा।
- महिलाओं ने पारंपरिक गीतों के साथ मां की आराधना की।
- बच्चों ने झांकियां देखकर उत्साह प्रकट किया।
- मंदिर समिति की ओर से प्रसाद वितरण, जलपान और सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की गई थी, जिसमें स्थानीय युवाओं ने भी सहयोग दिया।
सुख-शांति की कामना
पूजा के समापन पर मुख्य पुजारी ने क्षेत्र की सुख-शांति और समृद्धि की कामना की। श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे को बधाई दी और उत्सव की गरिमा बनाए रखने का संकल्प लिया।
रेवाली में अष्टमी और संधि पूजा का यह आयोजन तथा कछुए का प्रकट होना श्रद्धालुओं के लिए यादगार अनुभव बन गया, जिसे वे लंबे समय तक स्मृतियों में संजोए रखेंगे।