ग्वालियर देहदान मामला एक बार फिर चर्चा में है, जहां 78 वर्षीय पांचोबाई ने अपने पति बाबूलाल के पदचिन्हों पर चलते हुए देहदान किया। उनके निधन के बाद परिजनों ने उनका पार्थिव शरीर ग्वालियर के जीआर मेडिकल कॉलेज (GRMC) को सौंपा। इस मानवसेवा के कार्य को देखते हुए पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर अंतिम विदाई दी।
💠 ग्वालियर में देहदान पर मिला पुलिस का गार्ड ऑफ ऑनर
ग्वालियर के सुरेश नगर, थाटीपुर निवासी पांचोबाई का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। परिजनों ने पहले ही तय कर रखा था कि वे उनकी देह को चिकित्सा अध्ययन के लिए समर्पित करेंगे। जैसे ही पुलिस को इस देहदान की जानकारी मिली, थाटीपुर थाना टीम ने मौके पर पहुंचकर पांचोबाई को गार्ड ऑफ ऑनर से विदाई दी।
मुख्यमंत्री के ऐलान का असर
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कुछ समय पहले घोषणा की थी कि देहदान और अंगदान करने वालों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा, साथ ही उनके परिवार का भी सार्वजनिक सम्मान किया जाएगा। यह मामला उसी घोषणा का प्रभावशाली उदाहरण बन गया है।
👨⚕️ पहले पति, अब पत्नी – एक प्रेरणादायक जोड़ी
यह केवल पांचोबाई का ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार का निर्णय था। खास बात यह है कि उनके पति बाबूलाल जाटव ने भी 17 नवंबर 2024 को जीआरएमसी को अपना पार्थिव शरीर दान किया था। अब, जब पत्नी ने भी वही रास्ता अपनाया, तो समाज में एक नई प्रेरणा का संचार हुआ।
GRMC में वर्ष का चौथा और कुल 57वां देहदान
जेएएच अस्पताल और मेडिकल कॉलेज प्रशासन के अनुसार, यह वर्ष 2025 का चौथा और अब तक का 57वां देहदान मामला है। इससे पहले ग्वालियर जिले में पति-पत्नी द्वारा संयुक्त रूप से देहदान की कोई जानकारी सामने नहीं आई थी। यह पहला ऐसा मामला बन गया है।
👪 परिवार को भी मिलेगा सम्मान
पांचोबाई के बेटे, जो पेशे से शिक्षक हैं, उन्होंने पुलिस को देहदान की सूचना दी और पूरी प्रक्रिया में सहयोग किया। मुख्यमंत्री की योजना के अनुसार, ऐसे परिवारों को सामाजिक मंचों पर सम्मानित किया जाएगा, जिससे देहदान के प्रति जागरूकता बढ़े।
📌 क्यों महत्वपूर्ण है देहदान?
- चिकित्सा छात्रों के लिए उपयोगी शारीरिक संरचना अध्ययन
- समाज में मानवीय सेवा की मिसाल
- अंगों के पुनः उपयोग द्वारा किसी अन्य की जान बचाना
- मृत्यु के बाद भी समाज सेवा का अवसर
📢 ग्वालियर देहदान मामला समाज के लिए संदेश
ग्वालियर देहदान मामला सिर्फ एक समाचार नहीं, बल्कि एक सामाजिक प्रेरणा है। पति-पत्नी दोनों द्वारा देहदान कर समाज के समक्ष एक आदर्श प्रस्तुत किया गया है। इस तरह के मामलों से न केवल चिकित्सा क्षेत्र को लाभ होता है, बल्कि समाज में मृत्यु के बाद भी सेवा का महत्व समझ में आता है।
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