Report: Devendra Jaiswal
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह शुक्रवार को इंदौर हाई कोर्ट पहुंचे, जहां उनकी वर्ष 2021 में दायर की गई याचिका पर सुनवाई हुई। यह याचिका राज्य में बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा पर रोक लगाने और सुप्रीम कोर्ट के संबंधित आदेशों के पालन को सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान दिग्विजय सिंह ने हाई कोर्ट की डबल बेंच के सामने अपने पक्ष को मजबूती से रखा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2001 में एक आदेश पारित किया था, जिसके तहत पूरे देश के प्रत्येक जिले में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाना आवश्यक था। सिंह का आरोप है कि मध्य प्रदेश में अब तक इस आदेश का पालन नहीं किया गया है। उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य के किसी भी जिले में इस दिशा में कोई नोडल अधिकारी नियुक्त नहीं किया गया, जबकि बार-बार इसकी आवश्यकता और तात्कालिकता को रेखांकित किया गया था। दिग्विजय सिंह ने अधिकारियों पर भेदभावपूर्ण और पक्षपातपूर्ण कार्रवाई किए जाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मक्सी में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में उन्होंने स्वयं डीजीपी, केंद्रीय गृह मंत्री, आईपीएस एसोसिएशन और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जिले के एसपी पर एक पक्षीय कार्रवाई करने का आरोप लगाया था, लेकिन आज तक उस अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और न ही उसका तबादला।वहीं रतलाम में हुए एक अन्य मामले का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जुलूस के दौरान पत्थरबाजी के आरोपों की जांच में एसपी और एडिशनल एसपी ने वास्तविकता स्पष्ट कर दी थी और झूठा आरोप लगाने वालों पर कार्रवाई की थी। इसके बावजूद संबंधित एसपी को तत्काल प्रभाव से रतलाम से हटाकर रेलवे एसपी बना दिया गया। दिग्विजय सिंह ने पूरे प्रकरण पर हाई कोर्ट से उचित और न्यायोचित हस्तक्षेप की अपील की। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने मामले की अगली तारीख जल्द तय करने की बात कही है।





