रायपुर, 14 मई 2025
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच हुए हालिया सीजफायर में मध्यस्थता के दावे को खारिज करते हुए इसे भारत की संप्रभुता के लिए अपमानजनक बताया है।
बघेल ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहीं भी ट्रंप की मध्यस्थता का उल्लेख नहीं किया।” उन्होंने सवाल उठाया कि यदि ट्रंप की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण थी, तो भारत सरकार ने इसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया?
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा से कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय रूप से सुलझाने की नीति अपनाई है और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार किया है。 उन्होंने याद दिलाया कि 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी स्पष्ट रूप से कहा था कि भारत अपने आंतरिक मामलों में किसी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा।
बघेल ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने सेना को सीमित कर दिया और आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने से रोका। उन्होंने पूछा, “क्या एक भी आतंकी पकड़ा गया? पहलगाम हमले में मारे गए पीड़ितों को न्याय मिला?”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि देश ठगा हुआ महसूस कर रहा है और सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि सेना को क्यों रोका गया और क्या मजबूरियां थीं।
गौरतलब है कि हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की है और व्यापारिक प्रोत्साहन की पेशकश की थी। हालांकि, भारत सरकार ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा है कि सीजफायर दोनों देशों के बीच सीधे बातचीत के माध्यम से हुआ है और किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत की विपक्षी पार्टियां भी सरकार के इस रुख का समर्थन करती हैं कि भारत-पाकिस्तान के बीच के मुद्दे द्विपक्षीय हैं और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की जाएगी।