by: vijay nandan
फ़िरोज़ाबाद: भारी बारिश और बाढ़ से दिल्ली एनसीआर और उत्तर भारत के प्रदेशों में हाहाकार मचा है। रविवार का दिन यमुना किनारे के लोगों के लिए सांसें थाम देने वाला रहा। नगला सिंघी क्षेत्र के रामगढ़ जय श्री बाबा आश्रम के पास यमुना की तेज़ धार में 25 ग्रामीणों से भरा स्टीमर अचानक रुक गया। एक महिला और आठ मासूम बच्चे भी उस नाव पर सवार थे। सब्ज़ी और चारा लेने खेत पार गए ये लोग जब लौट रहे थे, तभी उनका स्टीमर बीच धारा में फंस गया।
लकड़ी के फंसने से इंजन बंद हुआ और स्टीमर बबूल के डूबे पेड़ों के पास अटक गया। उस वक्त हर आंख में डर था, हर सांस में दुआ थी। मगर ग्रामीणों ने हिम्मत नहीं खोई। पेड़ों की शाखाओं से स्टीमर को बांधकर उन्होंने बहाव में बहने से बचा लिया।

घटना की खबर मिलते ही पूरा प्रशासन हरकत में आ गया। एसएसपी सौरभ दीक्षित, एसपी सिटी रविशंकर प्रसाद, सीओ अमरीश कुमार, तहसीलदार राखी शर्मा और नगला सिंघी व टूंडला थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। गोताखोरों की टीम बचाव कार्य में जुट गई।

बच्चों और महिलाओं के साथ टापू पर फंसे लोगों ने हिम्मत नहीं हारी
इस बीच, रामगढ़ के ही रमेश चंद्र, पवन, प्रेमचंद्र, गौरव, धीरेंद्र, सुनील कुमार जैसे ग्रामीण सात ट्यूब लेकर दौड़े आए। रस्सियों के सहारे उन्होंने स्टीमर में फंसी लकड़ी को निकाला और लोगों की हिम्मत बनकर खड़े रहे।
करीब पांच घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद जब 25 ज़िंदगियां सुरक्षित किनारे आईं, तो सबने राहत की सांस ली। दोपहर ढाई बजे शुरू हुआ यह बचाव अभियान शाम साढ़े छह बजे तक चलता रहा।
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि यमुना के बढ़ते जलस्तर और तेज़ बहाव के बीच नाव या स्टीमर से नदी पार करने से बचें। मगर रविवार का यह वाक़या याद दिलाता है कि जब हिम्मत, प्रशासन और समाज एक साथ खड़े होते हैं, तो सबसे कठिन हालात भी मात खा जाते हैं।





