आर्थिक सर्वेक्षण में विनियमन में कटौती पर जोर
दिल्ली: आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 ने उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए में कमी करने की वकालत की है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को व्यावसायिक गतिविधियों में अत्यधिक दखल देने के बजाय कंपनियों को उनकी मुख्य जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित करने देना चाहिए।

नियमों में ढील से छोटे व्यवसायों को मिलेगा बढ़ावा
सर्वेक्षण के मुताबिक, सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए वित्तीय सहायता और बाजार तक पहुंच बढ़ाने के कई कदम उठाए हैं। लेकिन जटिल नियामक प्रक्रियाएं अभी भी छोटे व्यवसायों के विस्तार में बाधा बन रही हैं। इसलिए, राज्यों को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (EoDB) 2.0 के तहत सुधारों की अगुवाई करनी होगी।
मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथा नागेश्वरन ने सर्वेक्षण के प्रस्तावना में लिखा, “व्यवसायों पर जरूरत से ज्यादा नियंत्रण आर्थिक वृद्धि को धीमा कर सकता है। सरकार को जनता और उद्यमियों पर भरोसा करना चाहिए और नियमन का बोझ कम करना चाहिए।”
अवसरों का लाभ उठाने के लिए सुधार जरूरी
रिपोर्ट के अनुसार, भारत को अगले दशक में 8% वार्षिक वास्तविक वृद्धि दर बनाए रखनी होगी ताकि जीवन स्तर में निरंतर सुधार किया जा सके। यह मुख्य रूप से घरेलू क्षेत्र की वृद्धि पर निर्भर करेगा।
नियमों में कटौती से निवेश और आर्थिक दक्षता को बढ़ावा मिलेगा। इसके लिए आवश्यक कदमों में शामिल हैं:
- मौजूदा नियमों की लागत का आकलन करना
- अनावश्यक नियंत्रण और मानकों को हटाना
- ऐसी नीतियां बनाना जो व्यवसायों और नागरिकों पर अनुपालन का बोझ कम करें
MSME क्षेत्र के लिए नियमन में कटौती आवश्यक
सर्वेक्षण ने स्पष्ट किया कि बड़ी कंपनियों की तुलना में छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए अनुपालन लागत अधिक होती है, जिससे उनका विकास सीमित हो जाता है।
“कई छोटे व्यवसाय जानबूझकर छोटे रहते हैं ताकि वे जटिल नियामक प्रक्रियाओं से बच सकें। लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान रोजगार और श्रमिक कल्याण को होता है, जिसे ये नियम शुरू में प्रोत्साहित करने के लिए बनाए गए थे,” सर्वेक्षण में कहा गया।
अगर छोटे व्यवसायों को लाइसेंस, निरीक्षण और अनुपालन से राहत मिलेगी, तो वे अपनी नवाचार क्षमता का पूरा उपयोग कर सकेंगे, जिससे रोजगार और आर्थिक विकास में वृद्धि होगी।
राज्यों को सुधारों की जिम्मेदारी लेनी होगी
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस 2.0 को लागू करने में राज्यों को नेतृत्व करना होगा। नए सुधारों में शामिल होना चाहिए:
- श्रम और सुरक्षा कानूनों को सरल बनाना
- महिलाओं की फैक्ट्रियों में भागीदारी पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाना
- भवन निर्माण और भूमि उपयोग नियमों को तार्किक बनाना
- व्यापार और परिवहन को सुगम बनाने के लिए अनावश्यक प्रक्रियाएं हटाना
महिलाओं के रोजगार और औद्योगिक बिजली दरों पर ध्यान देने की जरूरत
सर्वेक्षण ने यह भी उजागर किया कि भारत के 10 सबसे बड़े राज्यों में महिलाओं के लिए 139 प्रकार की फैक्ट्री नौकरियों पर प्रतिबंध हैं। इन प्रतिबंधों को वैज्ञानिक आधार पर पुनः जांचने की जरूरत है।
इसके अलावा, औद्योगिक बिजली दरों में कटौती करने की सिफारिश की गई है। अन्य देशों की तुलना में भारत में उद्योगों को 10-25% अधिक दरों पर बिजली मिलती है, जिससे उनकी वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होती है।
व्यापारिक सुधारों से भारत की आर्थिक वृद्धि को मिलेगा बल
सर्वेक्षण में कहा गया है कि नियमों की जटिलता कम करने से निवेश बढ़ेगा और नौकरियों के अवसर सृजित होंगे। राज्य सरकारों को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखते हुए व्यवसायों के लिए अधिक अनुकूल वातावरण तैयार करने की आवश्यकता है।
ये भी पढ़िए: Budget Session 2025: राष्ट्रपति के संबोधन पर सोनिया गांधी की टिप्पणी
Ye Bhi Pade – बजट 2025 के दिन इन प्रमुख स्टॉक्स पर रखें नजर, हो सकता है बड़ा मुनाफा