रिपोर्ट- श्याम अवस्थी, एडिट- विजय नंदन
फतेहपुर: जिले के बहुआ विकासखंड की ग्राम पंचायत चकइटौली में स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत बड़ा घोटाला सामने आया है। आरोप है कि पूर्व प्रधान प्रकाश चंद्र गुप्ता और उनके परिजन सरकारी धन की हेराफेरी कर चुके हैं।
शिकायतकर्ता संतोष तिवारी ने मुख्य विकास अधिकारी और उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव पंचायती राज को पत्र लिखकर बताया कि वर्ष 2016 से 2021 के बीच पूर्व प्रधान ने अपने नाम, पत्नी संतोषी देवी और अन्य परिजनों के नाम फर्जी खातों के जरिए लगभग 44,94,000 रुपये की निकासी की। ग्रामीणों के अनुसार, इस दौरान प्रकाश चंद्र गुप्ता 2011 से 2020 तक प्रधान रहे और 2021 से उनकी पत्नी संतोषी देवी प्रधान हैं।

आरोप है कि दोनों के कार्यकाल में शौचालय मद के फंड का उपयोग गलत तरीके से किया गया और गरीबों का हक मारने की कोशिश की गई।
घटना सामने आने के बाद ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने मांग की है कि मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और सख्त कार्रवाई की जाए।

संतोष तिवारी (शिकायतकर्ता): “सरकारी फंड का दुरुपयोग करना सीधे गरीबों के अधिकारों पर हमला है। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।”
- त्रितोष गुप्ता (एडवोकेट, ग्रामीण): “यह मामला गंभीर है। प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप कर जांच करानी चाहिए।”
यह मामला न केवल पंचायत की जवाबदेही पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि ग्रामीणों में सरकार की योजनाओं के प्रति भरोसे को भी चुनौती देता है।
भारत सरकार की शौचालय बनाने की योजना का उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में खुले में शौच की प्रथा (ODF – Open Defecation Free) को समाप्त करना और स्वच्छता को बढ़ावा देना है। इसके तहत स्वच्छ भारत मिशन (SBM) – ग्राम और शहरी दोनों कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं।
1. योजना का उद्देश्य
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में घर-घर शौचालय निर्माण को बढ़ावा देना।
- खुले में शौच (Open Defecation) को पूरी तरह खत्म करना।
- महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करना।
- स्वच्छता और स्वास्थ्य जागरूकता फैलाना।
2. योजना के तहत फंड और निर्माण
- स्वच्छ भारत मिशन (SBM – Gramin) के तहत एक परिवार के लिए शौचालय निर्माण का फंड सरकार देती है।
- ग्रामीण परिवारों के लिए वित्तीय सहायता लगभग ₹12,000 से ₹15,000 प्रति शौचालय (बुनियादी पॉलिटेक्निक टॉयलेट) निर्धारित है।
- इसमें केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार दोनों योगदान करते हैं। कुछ राज्यों में राज्य सरकार अतिरिक्त राशि देती है।
- शहरी क्षेत्रों में SBM-Urban के तहत पब्लिक और प्राइवेट पार्टनरशिप के माध्यम से टॉयलेट बनाए जाते हैं।
3. लाभार्थी
- मुख्य रूप से आय वर्ग के कमजोर परिवार जिन्हें शौचालय बनाने की आर्थिक सुविधा नहीं है।
- महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए प्राथमिकता।
4. योजना की सफलता
- 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस मिशन को शुरू किया गया।
- 2019 तक लाखों घरों में शौचालय का निर्माण कर ग्रामीण भारत में खुले में शौच की प्रथा को काफी हद तक कम किया गया।
- मिशन के तहत स्वच्छता और स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।