मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि अतिवर्षा और बाढ़ की स्थिति में जान-माल की हानि न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए समय रहते सूचना-तंत्र की पुख्ता व्यवस्था की जाए। राज्य शासन जनसामान्य की सुरक्षा के प्रति संवेदनशील है। बाढ़ उन्मुख नदियों के लेवल पर लगातार निगरानी रखी जाए, बाढ़ संवेदनशील क्षेत्रों का पूर्व आंकलन कर राहत कैम्प की तैयारी रखें। आवश्यकता होने पर राहत शिविर लगाकर आवास और भोजन उपलब्ध कराया जाए। इन कार्यों में आवश्यकता होने पर सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव प्रदेश में अतिवृष्टि एवं बाढ़ के दृष्टिगत आवश्यक तैयारियों की मंत्रालय में समीक्षा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वर्षाकाल में आने वाले त्यौहारों में उचित व्यवस्था और आवश्यक सावधानियां बरतना जरूरी हैं। आपदाओं से बचाव के संबंध में सामान्य जानकारियों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए और जनसामान्य को मॉकड्रिल व आपदा प्रबंधन संबंधी प्रशिक्षण में भी शामिल किया जाए। बैठक में राजस्व मंत्री श्री करण सिंह वर्मा, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री एदल सिंह कंषाना, मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, पुलिस महानिदेशक श्री कैलाश मकवाना और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में अब तक 61 प्रतिशत से अधिक वर्षा हुई है। सर्वाधिक वर्षा टीकमगढ़, मंडला, छतरपुर, निवाड़ी और सीधी में दर्ज की गई। आगामी माहों में वर्षा के अनुमान को देखते हुए प्रदेश में बाढ़ और अतिवृष्टि से बचाव के लिए एनडीआरएफ की 2 टीमों को भोपाल में, एक-एक टीम जबलपुर, ग्वालियर और धार में तैनात की गई हैं। एसडीईआरएफ की टीमें भी तैनात हैं। आपदा की स्थिति में सेना से सहायता प्राप्त करने के लिए सेना के जिलेवार नोडल अधिकारियों की सूची जिलों को प्रदान की गई है। जिलों को मोटर बोट, लाइफ जैकेट, फ्लड लाइट, प्राथमिक उपचार किट और अन्य आपदा उपकरण उपलब्ध करा दिए गए हैं। बैठक में प्रदेश के बांधों में जलभराव की स्थिति की जानकारी भी प्रस्तुत की गई।