भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की पुण्यतिथि पर पूरे देश में उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और देश के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को आज भी याद किया जाता है।
सरल जीवन, उच्च आदर्श
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था। एक साधारण किसान परिवार में जन्मे प्रसाद ने अपनी प्रतिभा और मेहनत से देश के सर्वोच्च पद तक का सफर तय किया। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के साथ जुड़े और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सक्रिय भूमिका निभाई।
संविधान सभा के अध्यक्ष से राष्ट्रपति तक
डॉ. प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष बनाया गया, जहां उन्होंने निष्पक्षता और कुशल नेतृत्व का परिचय दिया। जब 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य बना, तो वे स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति चुने गए। उन्होंने 12 वर्षों तक इस पद को सुशोभित किया, जो अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है।
सादगी और सेवा के प्रतीक
राष्ट्रपति बनने के बाद भी डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कभी अपनी सादगी और विनम्रता को नहीं छोड़ा। वे एक महान विद्वान, कुशल प्रशासक और सच्चे देशभक्त थे। उनके विचार और आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं और नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
देश के लिए समर्पित जीवन
राष्ट्रपति पद से सेवानिवृत्त होने के बाद, वे अपने पैतृक गांव लौट गए और वहीं सादा जीवन बिताया। 28 फरवरी 1963 को उन्होंने अंतिम सांस ली, लेकिन उनकी स्मृतियां और योगदान अमर हैं।
आज उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है और उनके योगदान को गर्व के साथ याद कर रहा है।
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