7 जुलाई 2025 को रायसेन, नर्मदापुरम और सीहोर के वेयरहाउस संचालकों ने मूँग खरीदी नीति में संशोधन की मांग को लेकर बड़ा कदम उठाया। मध्यप्रदेश वेयरहाउस ऑनर्स एसोसिएशन के नेतृत्व में संचालकों ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और मूँग खरीदी का बहिष्कार करने की चेतावनी दी।
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मुख्य मांगें और समस्याएं
1. मूँग में सूखत का नुकसान
- संचालकों का कहना है कि मूँग की खरीदी के दौरान प्रति कुंटल 1.5% से 2% तक सूखत आती है।
- इस नुकसान का भार वेयरहाउस संचालकों को उठाना पड़ता है।
- मांग की गई है कि सोयाबीन की तरह मूँग की खरीदी नीति में भी सूखत छूट को शामिल किया जाए।
2. वर्षों से बकाया किराया भुगतान
- गेहूं, चना, धान, सोयाबीन और मूँग जैसे उपजों के भंडारण का किराया बीते 2–3 वर्षों से लंबित है।
- भुगतान न मिलने के कारण कई संचालक बैंक डिफॉल्टर बनने की कगार पर हैं।
- सरकार से तत्काल भुगतान की मांग की गई है।
रायसेन में प्रभारी मंत्री से मुलाकात
- रायसेन में प्रतिनिधि मंडल ने प्रभारी मंत्री नरेंद्र शिवजी पटेल से मुलाकात कर समस्याएं रखीं।
- प्रतिनिधियों ने स्पष्ट किया कि अगर समाधान नहीं हुआ तो मूँग की खरीदी का पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा।
राज्यस्तरीय आंदोलन की तैयारी
- प्रदेश अध्यक्ष नवनीत रघुवंशी और प्रचार प्रमुख राहुल धूत ने बताया कि आने वाले दिनों में अन्य मूँग उपार्जन जिलों में भी यही मांग दोहराई जाएगी।
- हर जिले में कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजे जाएंगे।
मध्यप्रदेश के वेयरहाउस संचालकों का यह आंदोलन राज्य की कृषि उपार्जन नीति में गंभीर खामियों की ओर इशारा करता है। यदि समय रहते शासन ने इन मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो यह आंदोलन राज्यव्यापी रूप ले सकता है, जिससे खरीफ उपज खरीदी प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।