23 फरवरी 2025 को दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला चैंपियंस ट्रॉफी मुकाबला सिर्फ खिलाड़ियों की मेहनत और प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं होगा। स्टेडियम की चमक-दमक और भीड़ के शोर से परे, कुछ खामोश नायक अपनी दुनिया में डूबे हुए हैं—ये हैं दोनों टीमों के डेटा विश्लेषक। ये वो जादूगर हैं, जो आँकड़ों की जटिल भूलभुलैया में से रणनीति निकालते हैं, जो खेल का रुख बदल सकती है। ये लोग न तो बल्ला थामते हैं और न ही गेंद फेंकते हैं, लेकिन इनके हाथों में वो ताकत है, जो जीत और हार के बीच का अंतर तय कर सकती है। आइए, इन अनदेखे योद्धाओं की कहानी को करीब से देखें।
डेटा: खेल का नया हथियार
आधुनिक क्रिकेट अब सिर्फ बल्ले और गेंद का खेल नहीं रहा। यह एक ऐसा युद्धक्षेत्र बन गया है, जहाँ आँकड़े, तकनीक, और रणनीति उतनी ही अहमियत रखते हैं जितनी खिलाड़ी की फुर्ती। भारत और पाकिस्तान जैसी टीमें, जो अपनी भावनात्मक राइवलरी के लिए जानी जाती हैं, अब डेटा विश्लेषण के जरिए एक-दूसरे को मात देने की तैयारी कर रही हैं। ये डेटा विश्लेषक खिलाड़ियों के प्रदर्शन, पिच की प्रकृति, मौसम की स्थिति, और यहाँ तक कि विपक्षी टीम की कमज़ोरियों को आँकड़ों में ढालकर कोच और कप्तान को वो सूत्र सौंपते हैं, जो मैदान पर चमत्कार कर सकता है।
भारत के एक पूर्व डेटा विश्लेषक, अनिरुद्ध राय, जो अब स्वतंत्र रूप से काम करते हैं, कहते हैं, “हमारा काम मैदान पर नहीं दिखता, लेकिन हर शॉट और हर गेंद के पीछे हमारा दिमाग होता है। हम बताते हैं कि बाबर आज़म को शॉर्ट गेंद से परेशान किया जा सकता है या शाहीन अफरीदी का स्विंग पहले 10 ओवर में कितना खतरनाक होगा।” उधर, पाकिस्तान के डेटा टीम से जुड़े एक अनाम स्रोत का कहना है, “हमारे लिए यह सिर्फ नंबर नहीं, बल्कि सम्मान की बात है। हम भारत को हराने के लिए हर आँकड़े को खंगालते हैं।”
आँकड़ों का जादू
डेटा विश्लेषक अपने लैपटॉप और सॉफ्टवेयर के साथ घंटों तक स्क्रीन पर नज़रें गड़ाए रहते हैं। ये लोग पुराने मैचों के वीडियो, खिलाड़ियों की बैटिंग-बॉलिंग की आदतें, और यहाँ तक कि उनकी बॉडी लैंग्वेज तक का विश्लेषण करते हैं। उदाहरण के लिए, भारत के विश्लेषक इस बात पर नज़र रखते हैं कि पाकिस्तान के बाबर आज़म स्पिन के खिलाफ कितने रन बनाते हैं और उनकी स्ट्राइक रेट क्या रहती है। अगर आँकड़े बताते हैं कि बाबर पहले 20 गेंदों में धीमे खेलते हैं, तो रणनीति बनती है कि शुरुआत में स्पिनरों से उन पर दबाव बनाया जाए।
इसी तरह, पाकिस्तान के विश्लेषक भारत के रोहित शर्मा की ताकत और कमज़ोरियों को परखते हैं। अगर डेटा कहता है कि रोहित तेज़ गेंदबाज़ों के खिलाफ शॉर्ट-पिच गेंदों पर आउट हुए हैं, तो शाहीन अफरीदी जैसे गेंदबाज़ को उस हिसाब से तैयार किया जाता है। ये खामोश जादूगर सिर्फ अतीत को नहीं देखते, बल्कि भविष्य की भविष्यवाणी भी करते हैं—मौसम, पिच की नमी, और ओस के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए।
पर्दे के पीछे का तनाव
डेटा विश्लेषकों की ज़िंदगी ग्लैमरस नहीं है। जहाँ खिलाड़ी मैदान पर तालियाँ बटोरते हैं, वहीं ये लोग होटल के कमरों या डगआउट के कोने में बैठकर अपनी रिपोर्ट्स तैयार करते हैं। भारत-पाकिस्तान जैसे हाई-वोल्टेज मुकाबले से पहले इन पर दबाव कई गुना बढ़ जाता है। एक गलत आकलन टीम को हार की कगार पर ला सकता है। अनिरुद्ध बताते हैं, “2019 वर्ल्ड कप से पहले हमने रात-रात भर जागकर पाकिस्तान की बैटिंग का विश्लेषण किया था। हर खिलाड़ी का एक पैटर्न होता है, और उसे तोड़ना हमारा काम है।”
पाकिस्तान के विश्लेषकों के लिए भी यह कम चुनौतीपूर्ण नहीं। एक स्रोत ने बताया, “भारत की टीम में इतने सारे ऑप्शंस हैं—स्पिनर, तेज़ गेंदबाज़, ऑलराउंडर। हमें हर संभावना को देखना पड़ता है। अगर हमारी रणनीति फेल हुई, तो फैंस हमें कभी माफ नहीं करेंगे।” यह तनाव उनकी खामोशी में छुपा होता है, लेकिन उनके काम का असर मैदान पर साफ दिखता है।
डेटा बनाम जुनून
भारत और पाकिस्तान का मुकाबला हमेशा से जुनून और भावनाओं का खेल रहा है। लेकिन अब डेटा ने इस जुनून को एक नया आयाम दिया है। क्या विश्लेषक सिर्फ आँकड़ों पर भरोसा करते हैं, या मैदान की गर्मी में कुछ और भी देखते हैं? अनिरुद्ध कहते हैं, “डेटा हमें रास्ता दिखाता है, लेकिन आखिरी फैसला कप्तान और कोच का होता है। हम सुझाव देते हैं कि कोहली को बाहर की गेंद से परेशान किया जा सकता है, लेकिन मैदान पर उसका मूड क्या होगा, ये कोई मशीन नहीं बता सकती।”
पाकिस्तान की टीम भी इसी दोहरे दृष्टिकोण पर चलती है। उनके विश्लेषक बताते हैं, “हमने टी20 वर्ल्ड कप 2021 में भारत को हराया, क्योंकि डेटा के साथ-साथ हमने उनकी बॉडी लैंग्वेज को भी पढ़ा। आँकड़े हमें 80% तैयार करते हैं, बाकी 20% मैदान का जादू है।”
दुबई की पिच और डेटा का खेल
दुबई की पिच इस मैच में एक बड़ा फैक्टर होगी, और यहाँ डेटा विश्लेषकों की भूमिका और अहम हो जाती है। भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी के लिए पाँच स्पिनरों को चुना है, जिसका मतलब है कि उनकी रणनीति धीमी पिच पर टिकी हो सकती है। विश्लेषक पिच की नमी, घास की मात्रा, और पिछले मैचों के आँकड़ों को देखकर यह अनुमान लगाते हैं कि स्पिनरों को कब और कैसे इस्तेमाल करना है। दूसरी ओर, पाकिस्तान के पास शाहीन और हारिस रऊफ जैसे तेज़ गेंदबाज़ हैं, जो शुरुआती ओवरों में कहर बरपा सकते हैं। उनके विश्लेषक यह सुनिश्चित करते हैं कि पिच का उछाल और स्विंग उनके पक्ष में रहे।
खामोश नायकों का योगदान
ये डेटा जादूगर कभी सुर्खियों में नहीं आते। जब रोहित शर्मा शतक बनाते हैं या शाहीन अफरीदी पाँच विकेट लेते हैं, तो तालियाँ खिलाड़ियों के नाम होती हैं। लेकिन इसके पीछे की मेहनत—वो रातों की जाग, वो अंतहीन विश्लेषण, वो सटीक भविष्यवाणियाँ—सब कुछ पर्दे के पीछे रहता है। फिर भी, इनके बिना आज का क्रिकेट अधूरा है।
23 फरवरी को जब भारत और पाकिस्तान मैदान पर उतरेंगे, तो असली जंग सिर्फ खिलाड़ियों के बीच नहीं होगी। यह उन खामोश डेटा जादूगरों की भी जंग होगी, जो आँकड़ों के ज़रिए खेल का रुख बदलने की कोशिश करेंगे। ये लोग न तो चीयर करने वाली भीड़ का हिस्सा हैं और न ही जीत के जश्न में शामिल होते हैं, लेकिन उनकी मौजूदगी हर गेंद और हर रन में महसूस होगी। अगली बार जब आप इस रोमांचक मुकाबले को देखें, तो एक पल के लिए इन अनदेखे नायकों को भी याद कर लें—जिनके हाथों में नंबरों का जादू है, और जिनकी खामोशी में छुपा है जीत का राज़।
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