BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: ओटीटी की बदौलत आज दर्शकों के पास मनोरंजन की भरमार है, लेकिन कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो केवल देखी नहीं जातीं, बल्कि सोचने पर मजबूर कर देती हैं। ‘His Story of Itihaas’ एक ऐसी ही फिल्म बनकर उभरी है, जिसने IMDb पर 9.7 की अविश्वसनीय रेटिंग हासिल कर सबको चौंका दिया है।
कहानी: जब इतिहास बन गया सवाल
यह फिल्म एक शिक्षक नामित भारद्वाज की सच्ची कहानी पर आधारित है, जो चंडीगढ़ के एक स्कूल में पढ़ाते हैं। जब वे अपनी बेटी की इतिहास की किताब पढ़ते हैं, तो उसमें दर्ज तथ्यों को देख हैरान रह जाते हैं। उन्हें लगता है कि जो इतिहास बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, वह अधूरा, एकतरफा या जानबूझकर तोड़ा-मरोड़ा हुआ है।
सच्चाई की तलाश में वे सूचना का अधिकार (RTI) का सहारा लेते हैं और शिक्षा व्यवस्था से सवाल करते हैं — क्या जो पढ़ाया जा रहा है, वही सच है? इस साहसिक सफर में नामित एक शिक्षक से ज्यादा एक बदलाव के वाहक बन जाते हैं, जो सिस्टम, पाठ्यक्रम और इतिहास के लेखन पर सवाल उठाते हैं।
किताब से परदे तक
फिल्म की कहानी लेखक नीरज अत्री की चर्चित किताब ‘Brainwashed Republic’ से प्रेरित है, जिसमें भारतीय शिक्षा व्यवस्था में इतिहास के एकतरफा प्रस्तुतीकरण पर सवाल उठाए गए हैं। इस विचार को निर्देशक ने बड़े ही दमदार तरीके से सिनेमा में रूपांतरित किया है।
शानदार अभिनय
मुख्य भूमिका में सुबोध भावे ने नामित भारद्वाज के किरदार को बेहद प्रभावशाली ढंग से निभाया है। उनके साथ योगेंद्र टिक्कू और अंकुल विकल जैसे अनुभवी कलाकारों ने भी शानदार प्रदर्शन किया है, जो फिल्म की विश्वसनीयता और भावनात्मक गहराई को और मजबूत करते हैं।
IMDb पर रिकॉर्ड तोड़ रेटिंग
फिल्म ने रिलीज के कुछ ही दिनों में IMDb पर 9.7/10 की रेटिंग हासिल कर ली, जो किसी भी नई हिंदी फिल्म के लिए एक रिकॉर्ड है। समीक्षकों और दर्शकों दोनों ने इसे न सिर्फ सराहा, बल्कि इसकी प्रासंगिकता और साहसिक दृष्टिकोण की तारीफ की है।
कहां देखें?
फिल्म मई 2025 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी और अब इसके OTT राइट्स Jio Hotstar ने ले लिए हैं। जल्द ही यह फिल्म तमिल, तेलुगु और मलयालम भाषाओं में भी स्ट्रीम की जाएगी, ताकि यह ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंच सके।
सोचने पर मजबूर करती है ये फिल्म
‘His Story of Itihaas’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि शिक्षा व्यवस्था, इतिहास लेखन और स्वतंत्र सोच पर एक तीखा सवाल है। यह फिल्म बताती है कि सवाल पूछना भी एक क्रांति हो सकती है, और एक शिक्षक भी बदलाव की बड़ी शुरुआत कर सकता है।