Bokaro News: झारखंड सरकार द्वारा कैबिनेट से पेसा कानून को राज्य में लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद सियासी बहस तेज हो गई है। सत्ताधारी झामुमो और कांग्रेस जहां इसे आदिवासियों को अधिकार दिलाने की दिशा में बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता अर्जुन मुंडा ने पेसा कानून की मूल भावना को लेकर सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
बोकारो में मीडिया से बातचीत करते हुए अर्जुन मुंडा ने कहा कि उनके मुख्यमंत्री रहते ही पेसा कानून के तहत झारखंड में पंचायत चुनाव कराए गए थे, इसलिए सरकार और सत्तारूढ़ दलों को इस विषय की सही जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पेसा को नया बताकर पेश करना जनता को गुमराह करने जैसा है।

Bokaro News: अर्जुन मुंडा ने पंचायत क्षेत्रों में हो रहे निर्माण कार्यों पर सवाल उठाते हुए कहा कि पंचायत क्षेत्रों में गगनचुंबी इमारतें कैसे बन रही हैं और इनके नक्शे कौन पास कर रहा है, यह बड़ा सवाल है। उन्होंने पूछा कि क्या पंचायत क्षेत्र अब इंडस्ट्री क्षेत्र बनते जा रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार यह स्पष्ट करे कि अधिसूचित क्षेत्रों को नगरीय क्षेत्र में बदलना क्या सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, जबकि वहीं चुनाव कराने की भी बात की जा रही है। अर्जुन मुंडा ने आरोप लगाया कि अनुसूचित क्षेत्रों में एक तरह से अनधिकृत दखल हो रहा है और राज्य सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आबादी बढ़ाकर पंचायत और अनुसूचित क्षेत्रों के मूल चरित्र को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार के दूसरे कार्यकाल में ही पेसा कानून को लागू करने की याद क्यों आई। उन्होंने कहा कि अगर पहले पंचायत चुनाव नहीं कराए गए होते तो शायद सरकार पंचायत चुनाव भी नहीं कराती, क्योंकि आज भी कई पंचायत इकाइयों में चुनाव लंबित हैं।




