आज, 31 मार्च 2025 को देशभर के साथ मध्य प्रदेश में भी ईद-उल-फितर का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। भोपाल में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग काली पट्टी बांधकर ईद की नमाज अदा करने पहुंचे। इस दौरान, उन्होंने वक्फ बोर्ड के खिलाफ विरोध जताया और कुछ युवाओं ने फिलिस्तीन के समर्थन में बैनर लहराए। इस घटना ने न केवल भोपाल बल्कि पूरे राज्य में सियासी हलचल पैदा कर दी है।
काली पट्टी बांधकर नमाज पढ़ने का क्या था कारण?
भोपाल के प्रमुख ईदगाह और मस्जिदों में मुस्लिम समुदाय ने ईद की नमाज अदा की, लेकिन एक खास दृश्य देखने को मिला। कई लोग काली पट्टी बांधकर नमाज पढ़ने पहुंचे, जो कि वक्फ बोर्ड के विरोध का प्रतीक था। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर कई मुस्लिम संगठनों और समुदायों के बीच मतभेद बने हुए हैं, और यह विरोध उसी का हिस्सा था। इसके अलावा, कुछ युवा फिलिस्तीन के समर्थन में बैनर लेकर खड़े हुए थे, जो कि इस घटना को और भी राजनीतिक रंग देने का कारण बना।

इससे पहले, मोती मस्जिद में भी वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की सुरक्षा और फिलिस्तीन व यमन के समर्थन में दुआएं की गई थीं। इन दुआओं के दौरान, कुछ युवा नेताओं ने यह भी कहा कि फिलिस्तीन और यमन की जनता को अपनी आवाज़ उठाने का पूरा हक है, और यह उनके मानवीय अधिकारों की रक्षा के लिए एक जरूरी कदम है।
राजनीतिक हलचल और भाजपा का रुख
जैसे ही यह घटना सामने आई, राजनीतिक प्रतिक्रिया भी सामने आनी शुरू हो गई। भाजपा नेता और राज्य के मंत्री विश्वास सारंग ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इस घटना को फिर्कापरस्ती और देश में उन्माद फैलाने की कोशिश बताया। सारंग ने कहा कि इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और यह सिर्फ भारत के अंदर ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में हिन्दू-मुस्लिम सौहार्द को बिगाड़ने की साजिश है।
विश्वास सारंग ने इस मुद्दे पर प्रियंका गांधी को भी आड़े हाथों लिया। उनका कहना था कि प्रियंका गांधी सिर्फ फिलिस्तीन के पक्ष में बैग लेकर भावनाओं को भड़काती हैं, लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं पर होने वाले अत्याचारों पर चुप रहती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसी घटनाएं जारी रहीं, तो इसका असर भारतीय समाज पर पड़ेगा और इसके लिए जिम्मेदार नेताओं को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।
कांग्रेस ने क्या प्रतिक्रिया दी?
कांग्रेस पार्टी ने भाजपा नेताओं की आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि प्रियंका गांधी ने हमेशा मानवीय मुद्दों पर अपनी आवाज उठाई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक कुणाल चौधरी ने भाजपा के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि प्रियंका गांधी का बयान सिर्फ फिलिस्तीन के लोगों के अधिकारों के समर्थन में था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रियंका गांधी का बयान युद्ध के खिलाफ था, और यह किसी भी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं था।
चौधरी ने यह भी कहा कि भाजपा सरकार को फिलिस्तीन, बांग्लादेश और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपनी राय देने की बजाय, देश के अंदर के महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, जैसे बेरोजगारी, किसान की समस्या, और महिलाओं के अधिकार। उनका कहना था कि सरकार को केवल राजनीतिक बयानों के बजाय, वास्तविक समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए।
फिलिस्तीन के समर्थन में बैनर का क्या मतलब था?
ईद के दिन फिलिस्तीन के समर्थन में बैनर लहराना, मुस्लिम समुदाय द्वारा एक राजनीतिक और अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण को सामने लाने का एक तरीका था। इस दिन, जहां पूरा देश खुशी और उमंग के साथ ईद का त्यौहार मना रहा था, वहीं भोपाल में यह बैनर प्रदर्शित करना एक संदेश था कि वे फिलिस्तीन की संघर्षशील जनता के साथ खड़े हैं।
फिलिस्तीन का मुद्दा एक अंतर्राष्ट्रीय विवाद है, और इस पर भारत में कई बार राजनीतिक बहस हो चुकी है। फिलिस्तीन के समर्थन में बैनर लहराना, कुछ लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कदम था, जबकि अन्य इसे एक विवादास्पद और साम्प्रदायिक बयान के रूप में देख रहे हैं।
क्या इस मामले में कोई पुलिस कार्रवाई हुई?
फिलहाल इस मामले में पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई की जानकारी सामने नहीं आई है। हालांकि, इस घटना ने सियासी बहस को और भी तेज कर दिया है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मामले में आगे और बयानबाजी हो सकती है, और यह एक और बड़ा राजनीतिक विवाद बन सकता है।
निष्कर्ष
ईद-उल-फितर के दिन भोपाल में काली पट्टी बांधकर नमाज पढ़ने और फिलिस्तीन के समर्थन में बैनर लहराने की घटना ने न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रभावित किया है, बल्कि यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। यह घटना साबित करती है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे और धार्मिक पहचान भारत के भीतर एक सियासी विवाद का कारण बन सकते हैं। ऐसे मुद्दों पर आगे और सियासी बयानबाजी होने की संभावना है, जो भारतीय राजनीति को और भी उबाल सकता है।
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