Mathura News | 28 जून 2025
वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। गोस्वामी समाज और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परियोजना न केवल यहां की सांस्कृतिक विरासत बल्कि पूरे वृंदावन के अस्तित्व के लिए खतरा बन गई है। इसी विरोध के चलते अब गोस्वामी समाज ने मंदिर परिसर में क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है।
क्यों उठी है बांके बिहारी कॉरिडोर के खिलाफ आवाज?
गोस्वामी समाज का स्पष्ट कहना है कि वृंदावन की पहचान इसकी संकरी गलियों, धार्मिक स्थलों और पारंपरिक वातावरण से है। उनका मानना है कि कॉरिडोर बनने से यह सब खत्म हो जाएगा और वृंदावन की प्राचीन संस्कृति पर गहरा आघात पहुंचेगा।
श्रद्धालु और स्थानीय लोग भी इस परियोजना का जमकर विरोध कर रहे हैं। कई सप्ताह से धरना-प्रदर्शन जारी है, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है।
वृंदावन में कैसा है विरोध का माहौल?
- मंदिर के चबूतरे पर गोस्वामी समाज ने क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है।
- महिलाएं मंदिर गेट पर बिहारी जी के चरण पूजन कर रही हैं और मनौती मांग रही हैं।
- हर रोज शाम 4 बजे से 8 बजे तक अनशन किया जा रहा है।
- अगर सरकार ने फैसला वापस नहीं लिया तो आमरण अनशन और भूख हड़ताल की चेतावनी दी गई है।
श्रद्धालुओं ने भी खोला मोर्चा
अब तक विरोध केवल स्थानीय स्तर पर था, लेकिन अब दूर-दूर से आए श्रद्धालु भी सरकार के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं। बांके बिहारी मंदिर दर्शन को आए श्रद्धालु योगी सरकार के फैसले से नाराज़ हैं और इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रियाएं:
मुकुल देशवाल, पलवल से आए श्रद्धालु:
“वृंदावन की गलियों में जो आध्यात्मिक ऊर्जा है, वही इसकी असली पहचान है। धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले लोग हमारी आस्था से खिलवाड़ कर रहे हैं।”
अनमोल दुबे, फर्रुखाबाद:
“अगर सरकार नहीं मानी तो इसके बहुत बुरे नतीजे होंगे। हमारे कुंज बिहारी को कुंज बिहारी ही रहने दो, उसे कॉरिडोर के नाम से नहीं पुकारा जाएगा।”
नीशू वर्मा, गाजियाबाद:
“वृंदावन की कुंज गलियां खत्म हो जाएंगी, ये हमारी आस्था का अपमान है। हम एकजुट होकर विरोध करेंगे, चाहे इसके लिए हमें खून का एक-एक कतरा बहाना पड़े।”
क्यों है बांके बिहारी मंदिर और वृंदावन इतने संवेदनशील मुद्दे?
बांके बिहारी मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि ब्रज की संस्कृति, कला और परंपरा की आत्मा है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। संकरी गलियों और पारंपरिक वातावरण में ही वृंदावन की असली पहचान बसती है।
कॉरिडोर बनने से स्थानीय व्यापार, रहन-सहन और सांस्कृतिक विरासत पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है। यही कारण है कि न केवल गोस्वामी समाज, बल्कि आम लोग और श्रद्धालु भी विरोध में उतर आए हैं।
क्या कहती है सरकार?
सरकार की ओर से फिलहाल कोई सीधा बयान सामने नहीं आया है। हालांकि प्रशासनिक स्तर पर परियोजना को बेहतर सुविधाओं और भीड़ प्रबंधन के लिए जरूरी बताया जा रहा है। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि इसकी आड़ में वृंदावन का स्वरूप ही बदल दिया जाएगा।
निष्कर्ष: टकराव या समाधान?
वृंदावन में श्री बांके बिहारी कॉरिडोर को लेकर टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। अगर सरकार ने जनता की भावनाओं को नजरअंदाज किया, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है। फिलहाल दोनों पक्षों के बीच संवाद और समाधान की जरूरत है, ताकि आस्था भी बनी रहे और विकास भी संतुलित तरीके से आगे बढ़े।