इजरायल-ईरान युद्ध में अगर कोई तकनीक ने सबका ध्यान खींचा है तो वह है अमेरिका का B-2 स्पिरिट स्टेल्थ बमबर। इसकी एंट्री के बाद युद्ध की दिशा ही बदल गई। लेकिन क्या आप जानते हैं, इस अदृश्य बमबर के पीछे जिस वैज्ञानिक का सबसे बड़ा योगदान है, वो भारतीय मूल के हैं? और दुर्भाग्य से आज वो अमेरिकी जेल में 32 साल की सजा काट रहे हैं।
इस लेख में जानते हैं B-2 बमबर की ताकत, इसके पीछे छुपे भारतीय वैज्ञानिक डॉ. नोशीर गोवाडिया की कहानी और उनका विवादित अतीत।
B-2 बमबर: क्यों है ये इतना खतरनाक?
B-2 स्पिरिट स्टेल्थ बमबर को दुनिया का सबसे खतरनाक और महंगा युद्धक विमान कहा जाता है। इसकी खासियत यह है कि:
- ये दुश्मन के रडार में नहीं आता।
- इसकी इंफ्रारेड हीट सिग्नेचर (गर्मी की पहचान) न के बराबर है।
- ये लंबी दूरी तक भारी पेलोड लेकर हमला कर सकता है।
- इसका फ्लाइंग विंग डिजाइन इसे आम विमानों से बिल्कुल अलग बनाता है।
दुनिया में जब भी ये विमान उड़ता है, दुश्मन देशों में खलबली मच जाती है। चाहे अफगानिस्तान युद्ध हो या हालिया इजरायल-ईरान संघर्ष, इसकी मौजूदगी निर्णायक रही है।
भारतीय मूल के वैज्ञानिक नोशीर गोवाडिया का बड़ा योगदान
कौन हैं नोशीर गोवाडिया?
- जन्म: 11 अप्रैल 1944, मुंबई
- उपलब्धि: महज 15 साल की उम्र में भारत में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी
- 1963 में अमेरिका रवाना हुए
- 1969 में अमेरिकी नागरिक बने
नोशीर ने अपना करियर नॉर्थरॉप ग्रुमैन (B-2 बनाने वाली कंपनी) में बतौर डिजाइन इंजीनियर शुरू किया। 20 साल वहां काम करते हुए उन्होंने B-2 बमबर की तकनीक को नई ऊंचाई दी।
B-2 की अदृश्यता के पीछे गोवाडिया की तकनीक
B-2 बमबर को रडार और हीट सेंसर्स से बचाने के लिए जो खास इंजन और एग्जॉस्ट सिस्टम तैयार किया गया, उसके मुख्य डिजाइनर नोशीर गोवाडिया ही थे। उन्होंने:
- इंफ्रारेड सप्रेसिंग एग्जॉस्ट नोजल डिजाइन किया।
- इंजन से निकलने वाली गर्मी को डिफ्यूज करके उसे अदृश्य बनाया।
- रडार क्रॉस सेक्शन को कम करने के लिए प्लेन की बनावट में इनोवेशन किया।
उनकी तकनीक ने ही B-2 को दुनिया का सबसे खतरनाक अदृश्य बमबर बना दिया, जिसकी कीमत करीब $4 बिलियन (2025 के अनुसार) है।
नोशीर गोवाडिया का विवादित अतीत: कैसे पहुंचे जेल?
B-2 बमबर जैसी उन्नत टेक्नोलॉजी का हिस्सा बनने के बाद गोवाडिया का करियर ग्राफ तेजी से ऊपर गया, लेकिन 1986 में उन्होंने नॉर्थरॉप छोड़ दी और स्वतंत्र कंसल्टिंग शुरू की।
उन पर लगे गंभीर आरोप:
- 2003 से 2005 के बीच चीन, जर्मनी, इजरायल और स्विट्जरलैंड समेत 8 देशों को B-2 से जुड़ी टेक्नोलॉजी बेचने का आरोप।
- खासकर चीन में चेंगडू एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री ग्रुप को B-2 जैसी तकनीक देने का दावा।
- चीन के J-20 फाइटर जेट और H-20 बमबर के डिजाइन में उनकी भूमिका बताई जाती है।
- अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने सिर्फ $100 के लिए चीन को यह संवेदनशील जानकारी दी। हालांकि असली रकम ऑफशोर खातों में होने की संभावना भी जताई जाती है।
सजा:
2005 में गिरफ़्तारी के बाद, 2011 में उन्हें एस्पियोनाज (जासूसी) का दोषी ठहराया गया और 32 साल की जेल हुई। फिलहाल वो अमेरिका के मिसूरी की जेल में सजा काट रहे हैं।
आखिर गोवाडिया ने ऐसा क्यों किया?
कई विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ पैसा ही नहीं, बल्कि:
- अमेरिकी डिफेंस इंडस्ट्री में नस्लभेद और
- करियर ग्रोथ में अड़चन की वजह से वो नाराज थे।
- कुछ का मानना है कि उनका ईगो और पहचान की चाहत इतनी बढ़ गई थी कि उन्होंने सुरक्षा को ताक पर रख दिया।
चीन समेत अन्य देशों को तकनीक देकर उन्होंने जो कदम उठाया, वो अंत में उनके खुद के खिलाफ ही गया।
क्या इजरायल-ईरान युद्ध में दिखा B-2 का असली दम?
हाल ही में जब अमेरिका ने मिसूरी एयरबेस से B-2 बमबर उड़ाकर ईरान पर हमला किया, तो पूरी दुनिया ने इसकी ताकत देखी। इजरायल महीनों से जो हासिल नहीं कर सका, वो B-2 ने चंद घंटों में कर दिखाया।
विडंबना देखिए:
- जिस मिसूरी से B-2 ने टेकऑफ किया,
- उसी मिसूरी की जेल में आज नोशीर गोवाडिया बंद हैं।
निष्कर्ष: जीनियस और गिरावट की मिली-जुली कहानी
डॉ. नोशीर गोवाडिया की कहानी बताती है कि किसी भी टेक्नोलॉजी का नायक बनना आसान नहीं, लेकिन गलत फैसले कैसे जिंदगी की दिशा बदल सकते हैं। उन्होंने दुनिया के सबसे खतरनाक बमबर को अदृश्य बनाया, लेकिन खुद अपनी गलतियों से अदृश्य हो गए – जेल की सलाखों के पीछे।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
B-2 बमबर की कीमत कितनी है?
→ करीब $4 बिलियन (2025 के अनुसार)
B-2 को खास क्या बनाता है?
→ इसकी स्टेल्थ टेक्नोलॉजी, जो इसे रडार और हीट डिटेक्शन से बचाती है।
डॉ. नोशीर गोवाडिया को जेल क्यों हुई?
→ B-2 की संवेदनशील जानकारी चीन समेत 8 देशों को बेचने के आरोप में।
चीन के कौन से विमान पर उनका प्रभाव दिखता है?
→ J-20 स्टेल्थ फाइटर और H-20 बमबर।