जबलपुर जिले के शासकीय रॉबर्टसन कॉलेज में आर्ट्स फैकल्टी के एक प्रोफेसर ने पिछले 9 वर्षों से साइंस कॉलेज विंग में प्रिंसिपल का पद संभाला हुआ है। इस मुद्दे को कांग्रेस विधायक लखन घंघोरिया ने 11 मार्च को मध्य प्रदेश विधानसभा में उठाया।
विधायक ने उठाया कॉलेज प्रबंधन का सवाल
कांग्रेस विधायक लखन घंघोरिया ने विधानसभा में बताया कि रॉबर्टसन कॉलेज जबलपुर उच्च गुणवत्ता वाला कॉलेज माना जाता है। हालांकि, कॉलेज के दोनों विंग के प्रबंधन में अनियमितताएं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जूलॉजी के व्याख्याता, जो साइंस विभाग के हैं, महाकौशल आर्ट्स कॉलेज के प्रिंसिपल के पद पर हैं। घंघोरिया ने इस व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर यही स्थिति है, तो तहसीलदार या पटवारी को ही कॉलेज सौंप देना चाहिए।”

उच्च शिक्षा मंत्री ने गड़बड़ी स्वीकार की
इस मुद्दे के साथ ही उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने विधानसभा में एक अन्य मामले में गड़बड़ी स्वीकार की। उन्होंने बताया कि प्रदेश की कई यूनिवर्सिटी में कुलगुरु पदस्थ मानकों के विपरीत हैं। मंत्री के अनुसार, कुल 32 यूनिवर्सिटी में से 15 में प्रभारी कुलगुरु नियुक्त हैं, जिन्हें हटाने के लिए मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने सरकार से अनुशंसा की है।
कुलगुरु नियुक्ति में अनियमितता का मामला
लीडर ऑफ़ ऑपोज़िशन उमंग सिंघार ने पूछा कि कुलगुरु नियुक्तियों में मानकों के विपरीत क्यों कार्यवाही की गई है। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या नियमों के अनुसार अनियमित कुलगुरुओं को हटाने और प्रक्रिया को पुनरीक्षण समिति के समक्ष लाने का काम पूरा हो चुका है।
मंत्री का जवाब
उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि आयोग ने कुलगुरु नियुक्तियों को अमान्य कर दिया है और प्रक्रिया को सुधारने के लिए कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि दो यूनिवर्सिटी में नियमित कुलगुरु की नियुक्ति पूरी हो चुकी है और बाकी की प्रक्रियाएं प्रगति पर हैं।
शिव के अवतार में ताजमहल पहुंचा पर्यटक, सुरक्षाबल ने त्रिशूल-डमरू छीना