Report By: Dinesh Gupta, Edit By: Priyanshi Soni
Ambikapur: छत्तीसगढ़ के जल, जंगल और जमीन को बचाने के लिए अब प्रदेशभर के संगठन एकजुट हो गए हैं। अब तक हसदेव, रायगढ़, खैरागढ़ समेत अलग-अलग जिलों में चल रहे आंदोलनों को एक मंच पर लाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। इसी क्रम में अंबिकापुर में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश के कई जिलों से प्रभावित लोग शामिल हुए।
Ambikapur: खनन और औद्योगिक परियोजनाओं से प्रभावित लोग हुए शामिल
बैठक में कोल ब्लॉक, बॉक्साइट खदान, लाइम स्टोन, सीमेंट प्लांट जैसी बड़ी परियोजनाओं से प्रभावित ग्रामीण और स्थानीय लोग मौजूद रहे। लंबे समय से अलग-अलग क्षेत्रों में संघर्ष कर रहे लोगों ने अब संयुक्त रूप से आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है। सभी ने गलत भू-अर्जन और पर्यावरण को हो रहे नुकसान के खिलाफ संगठित लड़ाई लड़ने पर सहमति जताई।
16 जनवरी से सरगुजा में शुरू होगा पहला चरण
संयुक्त संगठनों की बैठक में यह तय किया गया कि आंदोलन का पहला चरण 16 जनवरी को सरगुजा से शुरू किया जाएगा। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से पूरे छत्तीसगढ़ में जल, जंगल और जमीन से जुड़े मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। सरगुजा को आंदोलन की शुरुआत के लिए केंद्र बिंदु बनाया गया है।
शहरी और ग्रामीण, दोनों की बढ़ती भागीदारी
इस आंदोलन की खास बात यह है कि अब यह सिर्फ ग्रामीणों तक सीमित नहीं रह गया है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर शहरी क्षेत्रों के लोग भी इस मुहिम से जुड़ने लगे हैं। जल-जंगल-जमीन बचाने की लड़ाई में समाज के हर वर्ग की भागीदारी देखने को मिल रही है।
आदिवासी नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का समर्थन
इस आंदोलन को मजबूती देने के लिए लंबे समय से पर्यावरण संघर्ष से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता आलोक शुक्ला भी सरगुजा पहुंचे। वहीं, सरगुजा के आदिवासी नेता भानू प्रताप सिंह ने भी आंदोलन को समर्थन देते हुए इसमें सक्रिय भागीदारी की घोषणा की है। आयोजकों का कहना है कि आने वाले दिनों में यह आंदोलन और व्यापक रूप लेगा।





