अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के दर्दनाक हादसे के बाद केंद्र सरकार ने तत्काल एक औपचारिक जांच शुरू कर दी है। नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू किंजरापू स्वयं गुरुवार रात अहमदाबाद पहुंचे और हादसे की गंभीरता को देखते हुए उच्चस्तरीय समिति के गठन की घोषणा की।
हादसे पर सरकार का बयान
मंत्री राम मोहन नायडू ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी देते हुए कहा,
“अहमदाबाद में हुई इस दुखद घटना के बाद, एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा औपचारिक जांच शुरू कर दी गई है। यह जांच अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के दिशा-निर्देशों के अनुसार की जा रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि एक बहु-क्षेत्रीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया जा रहा है जो दुर्घटना के सभी पहलुओं की गहन जांच करेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के उपाय सुझाएगी।
फ्लाइट AI-171 से जुड़ी प्रमुख जानकारियां
- विमान संख्या: AI-171
- यात्रियों की संख्या: 232 (2 शिशु सहित)
- क्रू मेंबर्स: 10
- उड़ान समय: दोपहर 1:38 बजे टेक-ऑफ
- हादसे का समय: टेक-ऑफ के 5 मिनट बाद
- हादसे की जगह: अहमदाबाद का मेघाणी नगर क्षेत्र (घनी आबादी वाला इलाका)
पायलट की पहचान
- मुख्य पायलट: सुमित सभरवाल
- सह-पायलट: क्लाइव कुंदर
हादसे के तुरंत बाद एयरपोर्ट पर इमरजेंसी टीम सक्रिय कर दी गई थी। विमान के गिरने से क्षेत्र में घना धुआँ उठता दिखा और सभी उड़ानों को अस्थायी रूप से रोक दिया गया।
नागर विमानन मंत्रालय के अनुसार,
“अहमदाबाद एयरपोर्ट दोपहर 4:05 बजे से पुनः चालू कर दिया गया है और सभी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है।”
टाटा समूह की भावुक प्रतिक्रिया: “हर जान की कीमत अनमोल”
एयर इंडिया और टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा:
“यह एक असहनीय क्षति है। इस त्रासदी में जान गंवाने वाले हर व्यक्ति के परिवार को टाटा समूह की ओर से ₹1 करोड़ की सहायता राशि दी जाएगी।”
इसके साथ ही टाटा समूह ने यह भी वादा किया कि घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाया जाएगा और उन्हें हर संभव सहायता दी जाएगी।
टाटा की सामाजिक जिम्मेदारी
- B J मेडिकल कॉलेज के छात्रावास के निर्माण में सहयोग
- मेडिकल सहायता और पुनर्वास सुनिश्चित करना
एयर इंडिया के CEO का बयान
कैंपबेल विल्सन, एयर इंडिया के सीईओ ने कहा:
“हम केवल तथ्यों पर आधारित जानकारी साझा करेंगे, अफवाहों या अटकलों से बचेंगे। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि पीड़ितों और उनके परिवारों को सटीक जानकारी दी जाए।”
निष्कर्ष
यह हादसा न सिर्फ एक तकनीकी विफलता का संकेत देता है, बल्कि देश के उड्डयन सुरक्षा ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता की ओर भी इशारा करता है। सरकार की तत्परता, टाटा समूह की संवेदनशीलता और जांच एजेंसियों की सक्रियता मिलकर यह सुनिश्चित कर सकती है कि भविष्य में इस तरह की त्रासदियाँ रोकी जा सकें।