12 जून 2025 को, अहमदाबाद से लंदन जाने वाली एयर इंडिया की बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान ने टेकऑफ के सिर्फ 30 सेकंड बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में 270 लोगों की मौत हो गई, जिनमें यात्री, क्रू और पास के मेडिकल कॉलेज हॉस्टल में मौजूद छात्र शामिल थे।
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यह त्रासदी भारत में विमानन सुरक्षा, रखरखाव प्रोटोकॉल और नियामक ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
क्या यह हादसा रोका जा सकता था? जिम्मेदार कौन है? और यह घटना भारतीय विमानन क्षेत्र की कमियों को कैसे उजागर करती है?
क्या हुआ था?
- फ्लाइट विवरण: एयर इंडिया फ्लाइट 171, जिसमें 230 यात्री, 2 पायलट और 10 क्रू मेंबर सवार थे, ने दोपहर 1:37 बजे अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरी।
- दुर्घटना: टेकऑफ के 17 सेकंड बाद ही विमान ऊंचाई नहीं पकड़ पाया और सिर्फ 625 फीट तक पहुंचकर नीचे गिरने लगा।
- आखिरी पल: पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को थ्रस्ट न मिलने की सूचना दी, इससे पहले कि विमान BJ मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल से टकरा गया, जो एयरपोर्ट से सिर्फ 1.5 किमी दूर था।
- मृतक और बचे: सिर्फ एक यात्री, विश्वास कुमार रमेश, इमरजेंसी एग्जिट से बाहर निकलकर बच पाया।
महत्वपूर्ण सवाल
- विमान को थ्रस्ट क्यों नहीं मिला?
- क्या विंग फ्लैप्स और लैंडिंग गियर ठीक से काम कर रहे थे?
- क्या बेहतर रखरखाव या पायलट ट्रेनिंग इस हादसे को रोक सकती थी?
दुर्घटना के संभावित कारण
1. विंग फ्लैप्स और लैंडिंग गियर में खराबी
- विंग फ्लैप्स: टेकऑफ के दौरान लिफ्ट के लिए जरूरी होते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह शायद खुले ही नहीं थे।
- लैंडिंग गियर: गवाहों ने बताया कि पहिए बाहर ही थे, जिससे ड्रैग बढ़ा और विमान ऊपर नहीं उठ पाया।
2. इंजन फेलियर
- पायलट ने थ्रस्ट न मिलने की शिकायत की, जो दोनों इंजनों के फेल होने का संकेत देता है—एक दुर्लभ लेकिन भयानक स्थिति।
- कोई धुआं या आग नहीं दिखी, जिससे कंप्यूटर या फ्यूल सिस्टम में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है।
3. रखरखाव और पहले के संकेत
- पिछली समस्याएं: इसी विमान को 2021 में फ्यूल लीक के कारण तुर्की में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी थी।
- हाल की मरम्मत: मार्च 2025 में राइट इंजन की मरम्मत हुई थी और अप्रैल 2025 में लेफ्ट इंजन का निरीक्षण किया गया।
- यात्रियों की शिकायत: उसी दिन एक पिछली उड़ान में सवार यात्री ने AC न चलने, एंटरटेनमेंट सिस्टम फेल होने और विंग फ्लैप्स के असामान्य व्यवहार की बात कही थी।
जिम्मेदार कौन?
1. एयर इंडिया और टाटा समूह का निजीकरण
- 2021 में टाटा के अधिग्रहण के बाद से कर्मचारियों ने कई समस्याएं बताईं:
- वेतन में कटौती
- खराब कार्य स्थितियां
- थकान से जुड़ी शिकायतें
- मई 2024 में, 300 क्रू मेंबर्स ने विरोध किया, जिसके बाद कई को निलंबित कर दिया गया।
2. बोइंग 787 की सुरक्षा चिंताएं
- पूर्व बोइंग इंजीनियर ने अप्रैल 2024 में शिकायत की थी कि 787 के पार्ट्स गलत तरीके से जोड़े गए हैं, जिससे हादसों का खतरा बढ़ता है।
- खिड़कियां टूटने और बैटरी ओवरहीटिंग जैसी समस्याएं पहले भी सामने आ चुकी हैं।
3. सरकारी नियामकों की लापरवाही
- DGCA (भारतीय विमानन नियामक) ने 2023 में एयर इंडिया पर फर्जी सेफ्टी रिपोर्ट देने का आरोप लगाया था।
- एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स की कमी: मुंबई जैसे बड़े एयरपोर्ट्स पर 45% पद खाली हैं, जिससे काम का बोझ बढ़ता है।
- बजट का गलत आवंटन: विमान दुर्घटनाओं की जांच के लिए केवल 20 करोड़ रुपये दिए गए, जबकि नियमों की जांच के लिए 30 करोड़।
क्या सबक मिले?
- थकान प्रबंधन: पायलट्स और क्रू को पर्याप्त आराम नहीं मिलता, जिससे गलतियों का खतरा बढ़ता है।
- बेहतर निगरानी: DGCA को विमान कंपनियों पर सख्त नजर रखनी चाहिए।
- तकनीकी सुधार: बोइंग को अपने विमानों की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए।
निष्कर्ष
यह हादसा सिर्फ एक “दुर्घटना” नहीं, बल्कि लापरवाही, खराब प्रबंधन और नियामक विफलता का नतीजा है। अगर समय पर कार्रवाई की गई होती, तो 270 लोगों की जान बचाई जा सकती थी।