आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में एक बड़े अंतरराज्यीय लकड़ी तस्करी रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार करते हुए लगभग 19 टन अवैध खैर की लकड़ी जब्त की है, जिसकी बाजार कीमत करीब 50 लाख रुपये आंकी गई है।
तस्करी का पर्दाफाश कैसे हुआ?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई न्यू आगरा थाना की टीम ने गुरुवार की रात की। एक गुप्त सूचना के आधार पर टीम ने आगरा-मथुरा हाईवे पर सुल्तानगंज के पास चेकपोस्ट लगाकर ट्रक को रोका, जिसमें अवैध खैर की लकड़ी भरी हुई थी।
- तस्करों के पास वैध परमिट नहीं था।
- ट्रक ड्राइवर और उसके साथियों से पूछताछ की गई।
- पुलिस ने ट्रक को मौके पर जब्त कर आरोपियों को हिरासत में ले लिया।
आरोपियों की पहचान
पुलिस ने गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान इस प्रकार की है:
- शाहिद खान और जाबर खान (झांसी जिला, उत्तर प्रदेश)
- देवेंद्र सिंह सोलंकी और मुकेश यादव (डतिया जिला, मध्य प्रदेश)
पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच
आगरा के डीसीपी सिटी, सोनम कुमार ने बताया, “पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा तक लकड़ी ले जा रहे थे।”
इसके अलावा, दो अन्य साथी एक कार में ट्रक से आगे चल रहे थे ताकि पुलिस या वन विभाग की चेकपोस्ट के बारे में ड्राइवर को सूचना दे सकें। इन्हें भी पुलिस ने पकड़ लिया है। उक्त कार को मोटर व्हीकल एक्ट के तहत जब्त कर लिया गया है।
खैर की लकड़ी की तस्करी क्यों है खतरनाक?
खैर की लकड़ी वनों की संपदा का हिस्सा होती है और इसकी अवैध कटाई से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है। इसके कारण वन्यजीव आवास प्रभावित होते हैं और प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है।
खैर लकड़ी के मुख्य उपयोग:
- झाड़ियों और पेड़ों की कटाई में
- लकड़ी से बने औद्योगिक उत्पादों में
निष्कर्ष
यह कार्रवाई स्थानीय प्रशासन और वन विभाग की सतर्कता का परिणाम है, जिसने अवैध लकड़ी तस्करी के खिलाफ कड़ा संदेश भेजा है। ऐसे मामलों में जनता की जागरूकता और सहयोग भी आवश्यक है ताकि वन संपदा की रक्षा की जा सके।