भुवनेश्वर: उत्कल विश्वविद्यालय में लोकसभा सांसद चंद्रशेखर आजाद की उपस्थिति में हुए राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान छात्रों के साथ हुई झड़प को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। संगठन ने इस घटना की निंदा करते हुए स्पष्ट किया कि उनके किसी भी कार्यकर्ता की इसमें कोई भूमिका नहीं थी।
ABVP का बयान: ‘मारपीट करने वाले बाहरी तत्व’
ABVP ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा, ‘उत्कल विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बाहरी भीड़ द्वारा छात्रों के साथ मारपीट और शैक्षणिक वातावरण को बिगाड़ने की घटना निंदनीय है। किसी भी शैक्षणिक संस्थान में बाहरी राजनीतिक ताकतों का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।’
‘चंद्रशेखर आजाद के आरोप झूठे और बेबुनियाद’
चंद्रशेखर आजाद द्वारा ABVP पर लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुए संगठन ने कहा, ‘हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि विद्यार्थी परिषद का कोई भी कार्यकर्ता इस झड़प में शामिल नहीं था। चंद्रशेखर आजाद द्वारा सोशल मीडिया पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से झूठे और निराधार हैं। वह इन बेबुनियाद आरोपों के जरिए असल घटना से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।’
‘शैक्षणिक संस्थान राजनीति के अखाड़े नहीं’
ABVP के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों की गरिमा बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा, ‘विश्वविद्यालयों को राजनीतिक अखाड़ा बनाने की कोशिश दुर्भाग्यपूर्ण है। चंद्रशेखर आजाद के समर्थकों ने जिस तरह से छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया और संस्थान के माहौल को खराब किया, वह पूरी तरह से निंदनीय है। कुछ मीडिया पोर्टल्स बिना किसी पुष्टि के ABVP पर झूठे आरोप लगा रहे हैं, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।’
‘राजनीतिक कार्यक्रम की अनुमति क्यों दी गई?’
ABVP की ओडिशा इकाई की प्रांत मंत्री दीप्तिमयी प्रतिहारी ने भी घटना पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, ‘ओडिशा में विद्यार्थी परिषद हमेशा शिक्षा और युवाओं के मुद्दों पर सकारात्मक कार्य करती रही है। लेकिन कुछ असामाजिक तत्व अपने निजी स्वार्थ के लिए शैक्षणिक संस्थानों का दुरुपयोग करना चाहते हैं। उत्कल विश्वविद्यालय में इस तरह के राजनीतिक कार्यक्रम को अनुमति क्यों दी गई? प्रशासन को इसकी गहन जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।’
5 मार्च 2025: MP-CG न्यूज बुलेटिन – आज की सबसे चर्चित खबरें..यह भी पढ़े
ब्लैकमेल या बहाना? रन्या राव की सोना तस्करी ने पुलिस और परिवार को कठघरे में ला खड़ा किया