BY: Yoganand Shrivastva
मलकानगिरी: ओडिशा के मलकानगिरी जिले में एक सरकारी अस्पताल में काम करने वाला स्वीपर अपनी सादगी और बेहद साधारण जीवनशैली के लिए जाना जाता था। लेकिन उसकी मृत्यु के बाद जो राज़ उजागर हुआ, उसने हर किसी को चौंका दिया।
33 वर्षों तक सरकारी क्वार्टर में बिताया जीवन
डंबरू गड़ा नाम का यह सफाईकर्मी अस्पताल से जुड़ा रहा और तीन दशकों से ज्यादा समय तक एक छोटे से सरकारी क्वार्टर में रहा। पहनावे से लेकर खानपान तक, हर चीज़ में वह सादगी अपनाता था। न तो महंगे कपड़े पहनता, न ही आधुनिक सुख-सुविधाओं का उपयोग करता। उसकी सादा ज़िंदगी देखकर किसी को अंदाज़ा नहीं था कि वह अंदर से इतना धनवान हो सकता है।
मौत के बाद जब खुला घर का ताला…
डंबरू की अचानक मौत के बाद प्रशासन की मौजूदगी में जब उसके क्वार्टर का ताला खोला गया, तो अंदर का नज़ारा देखकर लोग दंग रह गए। घर के कोने-कोने से कैश की गड्डियां निकलीं। बैग, गद्दों के नीचे, किताबों के बीच — हर जगह नोट ही नोट थे। कुछ जगहों पर 50 और 100 रुपये के नोट थे, तो कहीं 500 के बंडल।
कुल संपत्ति करोड़ों में
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, डंबरू के पास नगद ही लाखों रुपये थे। इसके अलावा, उनके बैंक खातों, पीएफ और अन्य बचतों को जोड़कर कुल संपत्ति करोड़ से अधिक आंकी जा रही है।
कभी खर्च नहीं करता था पैसे
इतनी कमाई के बावजूद डंबरू की जीवनशैली अत्यंत सादी थी। वे मोमबत्ती की रोशनी में रहते थे, जबकि घर में बिजली कनेक्शन मौजूद था। सैलरी लगभग ₹50,000 महीना होने के बावजूद, उन्होंने कभी लक्ज़री चीजें नहीं खरीदीं। यहां तक कि जब कुछ साल पहले उनकी साइकिल चोरी हुई, तब भी उन्होंने नई नहीं ली और अस्पताल पैदल ही आते-जाते रहे।
ना शादी, ना परिवार
डंबरू ने कभी विवाह नहीं किया और उनके कोई नज़दीकी रिश्तेदार भी सामने नहीं आए हैं। पड़ोसी बताते हैं कि वे अक्सर सस्ते ढाबों से खाना मंगवाकर खाते थे या किसी से मांग कर गुज़ारा करते थे।
अब किसका होगा यह पैसा?
सबसे बड़ा सवाल अब यह है कि यह सारी जमा पूंजी किसके पास जाएगी? चूंकि डंबरू के कोई उत्तराधिकारी नहीं हैं, प्रशासन को इस धन की कस्टडी और अगला कदम तय करना होगा।
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