BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने SPMRF द्वारा आयोजित ‘भारत मंथन 2025 – नक्सल मुक्त भारत’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग समझते हैं कि नक्सलवाद केवल हथियारबंद गतिविधियों तक सीमित है, लेकिन यह सच्चाई नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि नक्सलवाद क्यों विकसित हुआ और इसका वैचारिक पोषण कौन करता रहा, यह समझना बेहद ज़रूरी है। जब तक समाज में ऐसे लोग होंगे जो नक्सलवाद के विचार, लीगल और वित्तीय समर्थन देते हैं और उन्हें वापस नहीं लाया जाएगा, तब तक इस लड़ाई को पूरी तरह समाप्त नहीं कहा जा सकता।
अमित शाह ने कहा कि हाल ही में नक्सलियों की तरफ से एक पत्र आया जिसमें युद्धविराम की मांग की गई थी और कहा गया कि अब आत्मसमर्पण करना चाहिए। गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि युद्धविराम की कोई ज़रूरत नहीं है, बस हथियार जमा कर दिए जाएँ। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया में पुलिस किसी पर गोली नहीं चलाएगी।
गृह मंत्री ने इसके अलावा वामपंथी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब ऑपरेशन ब्लैक फ़ॉरेस्ट शुरू हुआ, तो कई वामपंथी दल और उनके समर्थक सार्वजनिक रूप से हिंसा से दूरी बनाने लगे, लेकिन जैसे ही सरकार ने कार्रवाई की, उनकी सहानुभूति उजागर हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग वामपंथी उग्रवाद को विकास के कारण शुरू होने वाला बताकर भ्रम फैलाते हैं, जबकि असल में इस उग्रवाद ने विकास को रोका है।
अमित शाह ने बताया कि 2014 से 2025 के बीच, सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 12,000 किलोमीटर से अधिक सड़कें बनाई हैं और मूलभूत ढांचा विकसित किया है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि मानवाधिकारों और आदिवासियों के लिए काम करने वाले कुछ एनजीओ और लेखक केवल चुनिंदा मुद्दों पर ही ध्यान देते हैं, जबकि पीड़ित आदिवासियों की चिंता बहुत कम होती है।
इस कार्यक्रम के दौरान गृह मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में समाज का सहयोग और जागरूकता बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब तक की कार्रवाई में स्पष्ट रूप से यह दिखाया है कि किसी भी प्रकार की हिंसा या डर से भारत को नक्सलवाद से मुक्त किया जा सकता है।