रिपोर्टर- रूपेश सोनी
विधायक बोले “यह जनता के पैसों की बंदरबांट”
हजारीबाग नगर निगम द्वारा फुटपाथ दुकानदारों के पुनर्वास के नाम पर करोड़ों की लागत से बनाए गए लगभग 100 अस्थायी दुकानदार यूनिट अब खंडहर बनकर रह गए हैं। कई दुकानों में शटर तक नहीं हैं, अधिकांश कमजोर ढांचे के कारण आंधी-बारिश में उजड़ चुकी हैं या चोरी का शिकार हो चुकी हैं। परिणामस्वरूप फुटपाथ दुकानदार आज भी सड़कों और नालियों के किनारे अपनी रोज़ की आजीविका के लिए मजबूर हैं।
क्या हुआ — संक्षेप में
- चार साल पहले नगर निगम ने पुनर्वास के लिए टेंडर जारी कर ~100 अस्थायी दुकानों का निर्माण कराया।
- निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद ज्यादातर दुकानों की गुणवत्ता बेहद खराब पाई गई।
- लगभग 20–25 दुकानें छोड़ कर बाकी बुरी तरह क्षतिग्रस्त या गायब हैं।
- स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि उन्हें न तो मजबूत शटर दिए गए, न ही नियंत्रित, सुरक्षित स्थान।
अधिकारियों की भूमिका और जवाबदेही
Swadesh News की टीम जब नगर निगम अधिकारियों से मिली तो अधिकारियों ने फिलहाल जांच का हवाला देते हुए बात करने से परहेज किया। किसी प्रकार की तात्कालिक सार्वजनिक स्पष्टीकरण अब तक उपलब्ध नहीं हुआ है।
विधायक का तीखा हमला
सदर विधायक प्रदीप प्रसाद ने मामले को गंभीर भ्रष्टाचार करार देते हुए कहा:
“यह नुकसान नहीं, बल्कि खुली बंदरबांट है। दुकानों के नाम पर जनता के टैक्स की लूट हुई है।”
उन्होंने आगे कहा कि दुकानों की गुणवत्ता इतनी घटिया है कि “इनमें इंसान तो क्या, जानवर भी बैठना पसंद नहीं करेगा” और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और उच्चस्तरीय जांच की मांग की। विधायक ने चुनौती भी दी — यदि कोई अधिकारी उन दुकानों में एक दिन भी बैठकर दिखा दे, तो वह उसकी गुलामी करने को तैयार हैं।
दुकानदारों की हालत और भविष्य की रणनीति
विधायक ने यह भी कहा कि यदि निगम ने त्वरित सुधारात्मक कदम नहीं उठाए तो दुर्गा पूजा के बाद सड़क पर आंदोलन किया जाएगा। दुकानदारों का कहना है कि यह सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर का मामला नहीं, बल्कि जनता के हक व कर-राशि के उपयोग का सवाल है।
आगे क्या होगा
- स्थानीय विधायक ने उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर दी है।
- नगर निगम से आधिकारिक जवाब की प्रतीक्षा है; जांच रिपोर्ट आने तक प्रशासनिक सफाई और सुधार की मांग तेज रहेगी।
- यदि तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो राजनीतिक एवं सामाजिक आंदोलन की आशंका जताई जा रही है।