आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत भारतीय नौसेना आज दो स्वदेशी फ्रिगेट से सशक्त होगी। विशाखापत्तनम में दोपहर 2:45 बजे INS उदयगिरी और INS हिमगिरी को नौसेना बेड़े में शामिल किया जाएगा। यह पहला मौका है जब दो अलग-अलग भारतीय शिपयार्ड में बने युद्धपोतों को एक साथ कमीशन किया जा रहा है।
इन दोनों युद्धपोतों के शामिल होने के बाद भारत के पास तीन-फ्रिगेट स्क्वाड्रन होंगे, जो देश की इंडस्ट्रियल तकनीक और समुद्री ताकत का प्रदर्शन करेंगे।
INS उदयगिरी और INS हिमगिरी का निर्माण
- INS उदयगिरी: मुंबई के मझगांव डॉक शिपयार्ड में बनाया गया। इसका नाम आंध्र प्रदेश की उदयगिरि पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया। निर्माण अवधि: 37 महीने।
- INS हिमगिरी: कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा निर्मित। नाम पहले के INS हिमगिरी से लिया गया।
निर्माण में योगदान: 200 से अधिक MSME कंपनियों ने हिस्सा लिया, जिससे 4,000 लोगों को सीधी नौकरी मिली।
स्वदेशी युद्धपोतों की प्रमुख विशेषताएं
- डिज़ाइन और मटीरियल: रेडार और सेंसर में आसानी से नहीं पकड़ में आने वाले मटीरियल का उपयोग।
- वजन और आकार: लगभग 6,670 टन, लंबाई 149 मीटर, लगभग 15 मंजिला इमारत के बराबर।
- स्पीड: 52 किलोमीटर प्रति घंटा।
- रेंज: एक बार ईंधन भरने पर 10,000 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करने में सक्षम।
- हेलिकॉप्टर ऑपरेशन: सी किंग हेलिकॉप्टर ले जाने में सक्षम, जो पनडुब्बी और सतही जहाजों का पता लगा सकता है।
- हथियार: ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, समुद्र और जमीन दोनों लक्ष्यों पर 290 किमी तक मार करने में सक्षम।
- सुरक्षा: करीब आने वाली मिसाइलों और ड्रोन को मार गिराने की क्षमता।
- सोनार सिस्टम: गहरे पानी में पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम।
- परिसर: अरब सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में निगरानी।
इंडो-पैसिफिक में बढ़ेगी नौसेना की ताकत
प्रोजेक्ट 17A के तहत डिज़ाइन किए गए ये युद्धपोत रडार, इंफ्रारेड और ध्वनि सेंसर से बचने में सक्षम हैं। इनकी तैनाती से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की नौसेना शक्ति में वृद्धि होगी और समुद्री सुरक्षा मजबूत होगी।
INS हिमगिरी और INS उदयगिरी की नौसेना में शामिल होने से भारतीय समुद्री शक्ति को नई दिशा मिलेगी। स्वदेशी निर्माण, अत्याधुनिक हथियार और लंबी दूरी की निगरानी क्षमता इन्हें इंडो-पैसिफिक में एक प्रमुख ताकत बनाती है।





