आगरा के संजय प्लेस में स्थित शहीद स्मारक सिर्फ एक पार्क नहीं, बल्कि देशभक्ति और इतिहास का प्रतीक है। जिस जगह आज यह खूबसूरत स्मारक और शहर का पहला रूफटॉप पार्क है, वहां कभी जेल हुआ करती थी। आज यहां आने वाले लोग न सिर्फ हरियाली का आनंद लेते हैं, बल्कि भारत के वीर सपूतों के बलिदान को भी नमन करते हैं।
जेल से स्मारक तक का सफर
ब्रिटिश शासनकाल में यहां कैदियों को रखा जाता था। बाद में इसे पार्क में बदल दिया गया।
- 1971 भारत-पाक युद्ध के दौरान, एक लाख से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक बंदी बनाए गए थे, जिनमें से कुछ को यहीं संजय प्लेस की जेल में रखा गया।
- 80 के दशक में, संजय गांधी के आगरा दौरे के बाद यहां एक कमर्शियल हब के रूप में संजय प्लेस विकसित किया गया।
वीरों का सम्मान
शहीद स्मारक के निर्माण में स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय ठाकुर राम सिंह की अहम भूमिका रही।
- यहां सभी सेनाओं के प्रतीक चिन्ह मौजूद हैं।
- पार्क में भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु सहित कई अमर शहीदों की प्रतिमाएं लगी हैं।
आगरा का पहला रूफटॉप पार्क
इस स्मारक की खासियत इसका रूफटॉप पार्क है, जिसके नीचे लाइब्रेरी भी बनी है। यह आगरा का पहला पार्क है जो इस अनोखी डिजाइन के साथ बनाया गया।
आधुनिक सुविधाएं और सौंदर्यीकरण
- लाइट एंड साउंड शो अप्रैल 2025 से यहां शुरू हो चुका है, जो वीरों की गाथा को जीवंत करता है।
- जल्द ही यहां फूड कोर्ट भी खुलने वाला है।
- आगरा विकास प्राधिकरण ने इस स्थल के सौंदर्यीकरण पर करीब ₹7.50 करोड़ खर्च किए हैं।
क्यों खास है शहीद स्मारक?
यह जगह इतिहास, देशभक्ति और आधुनिकता का अनूठा संगम है। यहां आकर आगंतुक न सिर्फ शहीदों की कहानियां सुन सकते हैं, बल्कि परिवार संग समय बिताने और शहर के खूबसूरत नज़ारों का आनंद भी ले सकते हैं।