BY: Yoganand Shrivastva
उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने एक बड़े ऑपरेशन में दो युवकों को हिरासत में लिया है, जो देश में कट्टरपंथी विचारधारा फैलाकर गजवा-ए-हिंद के जरिए भारत में शरिया कानून लागू करने की साजिश रच रहे थे। एटीएस को यह जानकारी एक अंतरराष्ट्रीय व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए मिली, जिसमें पाकिस्तान के कई सदस्य सक्रिय थे।
पाकिस्तान से संपर्क में था अमरोहा का युवक
जांच के दौरान एटीएस को पता चला कि “Reviving Islam” नामक व्हाट्सएप ग्रुप में लगभग 400 सदस्य हैं, जिनमें 3 एडमिन पाकिस्तान से हैं। इसी ग्रुप से उत्तर प्रदेश के अमरोहा निवासी अजमल अली का नंबर जुड़ा मिला। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि अजमल सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी विचार साझा करता था और गैर-मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाने का कार्य कर रहा था।
सोशल मीडिया पर विदेशी संपर्क
पूछताछ में अजमल ने स्वीकार किया कि वह न सिर्फ इस ग्रुप से जुड़ा था, बल्कि पाकिस्तान के कई लोगों से विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से बातचीत करता था। उसकी चैटिंग से यह भी पता चला कि वह महाराष्ट्र के बदलापुर पश्चिम के निवासी डॉ. उसामा माज शेख के संपर्क में भी था, जिसे वह अपना मार्गदर्शक मानता था।
भारत विरोधी एजेंडे की बातचीत
अजमल और उसामा के बीच इंस्टाग्राम और सिग्नल ऐप के माध्यम से संवाद होता था, जिसमें वे भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को समाप्त कर इस्लामिक शासन लागू करने की बातें करते थे। इन दोनों पर आरोप है कि वे मुस्लिम युवाओं को भड़काकर, गैर-मुस्लिमों के प्रति द्वेष उत्पन्न करने और भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए उकसाते थे।
कानूनी कार्रवाई
1 अगस्त 2025 को लखनऊ स्थित एटीएस थाना में इन पर भा.दं.सं. की धारा 148/152 बीएनएस के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया। अजमल अली को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया। आगे की जांच में, 4 अगस्त 2025 को डॉ. उसामा माज शेख को भी बदलापुर से गिरफ्तार कर लिया गया।
हिंसक जिहाद के माध्यम से गजवा-ए-हिंद की योजना
दोनों आरोपितों की योजना थी कि वे भारत में हिंसात्मक जिहाद के जरिये शासन को अस्थिर करें और धार्मिक कट्टरता फैलाकर शरिया आधारित व्यवस्था स्थापित करें। एटीएस की जांच से यह भी सामने आया कि वे नियमित रूप से पाकिस्तान से निर्देश प्राप्त कर रहे थे और विभिन्न सोशल मीडिया मंचों के जरिए भारत में युवाओं को उकसाने का प्रयास कर रहे थे।
उत्तर प्रदेश एटीएस की सतर्कता और साइबर निगरानी के चलते एक गंभीर राष्ट्रविरोधी साजिश को विफल कर दिया गया है। यह कार्रवाई देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गई है, जिसमें यह सिद्ध हुआ कि सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल कर आतंकवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिशें अब भी जारी हैं।