उत्तराखंड में संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लोकप्रियता को फिर साबित कर दिया है।
358 जिला पंचायत सीटों में से भाजपा और उसके समर्थित उम्मीदवारों ने 200 से अधिक सीटों पर जीत हासिल की है।
दूसरी ओर, कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों को 83 सीटों पर सफलता मिली। वहीं, कई निर्दलीय प्रत्याशी भी विजयी हुए हैं, जिनमें से ज्यादातर ने भाजपा का खुलकर समर्थन करने की घोषणा की है।
किन वजहों से भाजपा को मिली बड़ी सफलता?
भाजपा की इस जीत के पीछे कई अहम कारण माने जा रहे हैं।
- रोज़गार पर फोकस: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल से एक लाख से अधिक युवाओं को रोजगार के अवसर मिले।
- होमस्टे और स्वरोजगार योजनाएं: पर्वतीय क्षेत्रों में होमस्टे स्कीम और स्वरोजगार का विस्तार हुआ।
- महिला सशक्तिकरण: महिलाओं की सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण के लिए योजनाओं को बढ़ावा दिया गया।
- चारधाम यात्रा प्रबंधन: रिकॉर्ड श्रद्धालुओं के आगमन के बावजूद सुरक्षित और व्यवस्थित यात्रा की व्यवस्था।
- भ्रष्टाचार पर सख्ती: जीरो टॉलरेंस नीति और प्रभावी कार्रवाई ने जनता का भरोसा बढ़ाया।
भाजपा की रणनीति: परिवारवाद से दूरी
पंचायत चुनावों में राजनीतिक दल प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लेते, बल्कि प्रत्याशी स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ते हैं। हालांकि, दल उन्हें समर्थन देते हैं। भाजपा ने इस बार स्पष्ट किया कि उसने परिवारवाद को दरकिनार किया और केवल उन प्रत्याशियों को समर्थन दिया, जिनकी निष्ठा जनता और विकास के मुद्दों के प्रति थी।
उत्तराखंड के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 ने साफ कर दिया है कि जनता अभी भी भाजपा की नीतियों और नेतृत्व पर भरोसा करती है।
ग्राम पंचायत से लेकर जिला पंचायत तक, हर स्तर पर भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को भारी समर्थन मिला, जो आने वाले विधानसभा चुनावों की दिशा भी तय कर सकता है।