उत्तरप्रदेश में 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी को संजीवनी दिलाने के लिये संघ ने भी मोर्चा संभाल लिया है। दरअसल लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश में बीजेपी जिस चुनावी परिणाम का सामना करना पड़ा, उसके पीछे की वजह संघ और बीजेपी के बीच खटास को माना जा रहा था। उधर उपचुनाव से पहले डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मोर्य और सीएम योगी को लेकर भी चर्चाएं तेज रही। लेकिन हालही में केशव प्रसाद मोर्य ने सीएम योगी को देश का सबसे बेहरत सीएम बताकर विवाद पर अंकुश लगाने का काम किया।
इस सारे घटनाक्रम के बाद अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने एक बार फिर कमान संभाल ली है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार की मौजूदगी में संघ, सरकार और भाजपा संगठन के बीच समन्वय को लेकर एक बड़ी बैठक हुई। जिसमें सरकार और संगठन के बीच बेहतर समन्वय के साथ ही उपचुनाव की रणनीति, निकायों और बार्डों में पार्टी पदाधिकारियों की नियुक्ति समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई। बुधवार को सीएम आवास पर हुई आरएसएस के साथ सरकार और संगठन की बैठक की अगुवाई सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने की। जिसमें उपचुनाव का एजेंडा तय हुआ, साथ ही बीजेपी के अंदरखाने मचे घमासान को खत्म कर एकजुट होकर उपचुनाव को जीतने की रणनीति तैयार की गई है।
बैठक में तय हुआ है कि उप चुनाव में बीजेपी के साथ संघ कार्यकर्ताओं को भी तैयारियों में भागीदार बनाया जाए। माना गया है कि जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच पनपे असंतोष और उपेक्षा के कारण भी लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा है।इसलिए आगे से पुराने और कॉडर वाले कार्यकर्ताओं के सम्मान का ख्याल रखा जाए। उनकी उपेक्षा की शिकायतों को दूर किया जाए। नौकरशाही के मनमाने व्यवहार को लेकर कहा गया कि जिला स्तर पर पार्टी पदाधिकारियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों बीच बेहतर समन्वय से जनता के काम कराने की व्यवस्था को प्रभावी बनाया जाए।
संघ ने यह भी निर्देश दिया है कि बाहरी दलों से आये लोगों की जगह अपने पुराने कार्यकर्ताओं पर जोर दिया जाए और उन पर भरोसा किया जाए। संघ ने सरकार और संगठन के बीच मचे घमासान पर चिंता जताई। गुटबाजी से दूर रहने के निर्देश दिए। आपस में बैठकर संवाद कर समस्याओं का समाधान की बात कही। बैठक में संघ ने कहा कि उपचुनाव में सभी 10 सीटें जीतने की तैयारी के साथ मैदान में उतरें। साथ ही पीडीए के भ्रमजाल को रोकने के लिए भी रणनीति बनाई जाए। सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों के जरिए PDA के भ्रम को अधिक से अधिक फैलने से रोकने पर जोर दिया जाए। लेकिन अब संघ और भाजपा की रणनीति को लेकर सवाल यही है कि उपचुनाव में संघ के मोर्चा संभालने से क्या कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की टेंशन बढ़ेगी।
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