BY: MOHIT JAIN
सावन में शिवभक्तों की श्रद्धा अपने चरम पर है। देशभर के मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ रही है। ऐसे पावन समय में हम आपके लिए लेकर आए हैं एक बेहद खास और रहस्यमयी रिपोर्ट — ग्वालियर के कोटेश्वर महादेव मंदिर की, जहां शिवलिंग टेढ़ा है। लेकिन ये टेढ़ापन महज़ आकृति नहीं, बल्कि अपने भीतर समेटे हुए है एक ऐतिहासिक चमत्कार और आस्था की अद्भुत गाथा। पढ़िए और जानिए कि आखिर क्यों झुका हुआ है कोटेश्वर का शिवलिंग, और कैसे यह बना मुगलों की हार और श्रद्धा की जीत का प्रतीक!
इतिहास: शिवलिंग और औरंगजेब का टकराव

ग्वालियर के इस मंदिर का शिवलिंग लगभग 400 साल पुराना है, जबकि मंदिर भवन की उम्र 150 वर्ष के आसपास बताई जाती है। यह शिवलिंग मूल रूप से ग्वालियर किले पर स्थापित था।
क्या हुआ था?
- 17वीं सदी में जब मुगल शासक औरंगजेब ने ग्वालियर दुर्ग पर कब्ज़ा किया, उसने सभी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ने का आदेश दिया।
- जब सैनिक इस शिवलिंग को तोड़ने पहुंचे, सैंकड़ों नाग वहां आ गए और चारों ओर फैलकर इसकी रक्षा करने लगे।
- औरंगजेब ने सैनिकों को हटाकर शिवलिंग को किले से नीचे फेंक देने का आदेश दिया।
- यह शिवलिंग गिरकर टेढ़े रूप में ही भूमि में धंस गया, और आज भी उसी अवस्था में पूजित है।
नागों का चमत्कार: सैनिकों को रोक लिया गया था!
माना जाता है कि जब शिवलिंग को तोड़ने की कोशिश हुई, नागदेवता स्वयं प्रकट हुए और सैनिकों को डंस लिया। सैनिकों को पीछे हटना पड़ा। कहा जाता है कि औरंगजेब स्वयं भी शिवलिंग के पास नहीं जा सका और भयभीत होकर लौट गया।
पुन:र्निर्माण सिंधिया राजवंश ने फिर से जगाई आस्था

- संवत 1937-38 (ई. सन् 1880) में महाराज जीवाजी राव सिंधिया के आदेश पर इस शिवलिंग की फिर से स्थापना की गई।
- उनके सैन्य अधिकारी खड़ेराव हरि ने भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।
- तब से यह स्थल कोटेश्वर महादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
नामकरण की कहानी: क्यों पड़ा ‘कोटेश्वर’?
ग्वालियर क्षेत्र में पहले कोटा पत्थर की बड़ी खदानें हुआ करती थीं। यहीं से ‘कोटा’ शब्द आया और इसी आधार पर शिव को कोटेश्वर कहकर संबोधित किया गया।
प्राकृतिक सौंदर्य में बसा धार्मिक स्थल

- यह मंदिर ग्वालियर दुर्ग की तलहटी में एक शांत, हरे-भरे और नैसर्गिक वातावरण में स्थित है।
- पास में बनी बावड़ी और मंदिर परिसर की कलात्मकता इसे और भी दर्शनीय बनाती है।
शिवभक्तों का उत्साह: महाशिवरात्रि और सावन में विशेष भीड़

- हर सोमवार, विशेष रूप से सावन और महाशिवरात्रि में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
- मान्यता है कि यहां की पूजा विशेष रूप से फलदायक होती है क्योंकि स्वयं भोलेनाथ ने इस स्थान को चुना है।
महत्वपूर्ण तथ्य एक नजर में
बिंदु | विवरण |
---|---|
मंदिर का नाम | कोटेश्वर महादेव मंदिर |
स्थान | ग्वालियर किला, मध्य प्रदेश |
शिवलिंग की स्थिति | टेढ़ा, अविछिन्न अवस्था |
प्रमुख कथा | औरंगजेब द्वारा गिराया गया शिवलिंग, नागों की रक्षा |
पुनर्निर्माण | सिंधिया राजवंश, संवत 1937-38 |
पर्व विशेष | महाशिवरात्रि, सावन सोमवार |
एक टेढ़ा शिवलिंग, सीधी श्रद्धा
कोटेश्वर महादेव मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, चमत्कार और संस्कृति की जीवंत गाथा है। यह स्थल यह संदेश देता है कि जब आस्था सच्ची हो, तो इतिहास भी झुकता है और प्रकृति स्वयं रक्षा करती है।
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अगर आप ग्वालियर जा रहे हैं, तो कोटेश्वर महादेव के दर्शन अवश्य करें। शायद आपको भी कोई चमत्कार दिख जाए — या आस्था का अनुभव हो जाए!