📰 प्रमुख बातें:
- अटेर जनपद पंचायत की सामान्य सभा में सीईओ ने महिला सदस्यों से की अभद्र टिप्पणी
- बैठक में विकास योजनाओं पर होनी थी चर्चा, लेकिन विवाद में बदल गई बैठक
- महिला सदस्यों ने थाने पहुंचकर की सीईओ के खिलाफ शिकायत
- सीईओ ने बयान में कहा – “जो होगा देखा जाएगा”
❗ मामला क्या है?
मध्य प्रदेश के भिंड जिले की अटेर जनपद पंचायत की बैठक उस वक्त विवादों में आ गई जब जिला पंचायत के सीईओ राजधर पटेल ने महिला जनप्रतिनिधियों के साथ कथित रूप से अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। यह बैठक विकास कार्यों की योजनाओं पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, सीईओ ने महिलाओं से कहा – “चौका-चूल्हा करो, यही तुम्हारा काम है।” इतना ही नहीं, उन्होंने महिलाओं को बैठक से बाहर निकालने तक की बात कही। इसके बाद महिला सदस्यों ने बैठक का बहिष्कार कर सीधे अटेर थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई।
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📍 बैठक में क्या हुआ?
बैठक की अध्यक्षता कर रहीं जनपद अध्यक्ष कमला श्रीनारायण शर्मा और अन्य महिला सदस्य जब विकास कार्यों पर सुझाव देने लगीं, तो सीईओ राजधर पटेल भड़क उठे। उन्होंने गुस्से में फाइलें फेंकी और महिलाओं को अपमानित करते हुए कहा कि “बिना तुम्हारे भी सब हो जाएगा”।
महिला सदस्यों का कहना है कि सीईओ का रवैया न केवल असम्मानजनक था, बल्कि महिलाओं की गरिमा के खिलाफ भी था।
👩⚖️ महिलाओं की पुलिस में शिकायत
सीईओ के खिलाफ जनपद अध्यक्ष समेत कई महिला जनप्रतिनिधियों ने अटेर थाने में लिखित शिकायत दी। शिकायत में स्पष्ट रूप से अभद्र भाषा और व्यवहार का उल्लेख किया गया है।
कमला शर्मा ने मीडिया से कहा:
“सीईओ का व्यवहार महिलाओं के लिए अपमानजनक है। जनप्रतिनिधियों की कोई इज्जत ही नहीं बची है अगर ऐसे अफसर व्यवहार करेंगे।”
🗣️ सीईओ का जवाब – “जो होगा, देखा जाएगा”
जब इस विवाद पर सीईओ राजधर पटेल से प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने कहा:
“करने दीजिए शिकायत, जांच में सब सामने आ जाएगा। जो होगा, देखा जाएगा।”
वहीं थाना प्रभारी अभिषेक गौतम ने बताया कि शिकायत दर्ज कर ली गई है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
📌 इस खबर से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे:
- लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी और गरिमा की रक्षा
- जनप्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों के बीच सम्मानजनक संवाद
- स्थानीय प्रशासन में जवाबदेही और पारदर्शिता की आवश्यकता
🔎 क्या है जनता की प्रतिक्रिया?
इस घटनाक्रम के बाद सोशल मीडिया और आम जनता में भी नाराजगी देखने को मिल रही है। लोग सवाल कर रहे हैं कि यदि महिला प्रतिनिधियों को ही इस तरह अपमानित किया जा सकता है, तो आम महिलाओं की स्थिति क्या होगी?