📌 मुख्य बिंदु:
- खुद को TRAI अधिकारी और पुलिस अफसर बताकर की गई वीडियो कॉल
- ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर बनाया मानसिक दबाव
- 90 लाख रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कराए गए
- केस दर्ज, पुलिस जांच जारी
🔍 क्या है मामला?
गाजियाबाद के सूर्य नगर निवासी 74 वर्षीय गोविंद लाल सोनी, जो एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हैं, साइबर ठगों के शिकार हो गए। आरोपियों ने उन्हें डिजिटल तरीके से ‘अरेस्ट’ कर 90 लाख रुपये ठग लिए। ये पूरी घटना 4 जुलाई 2025 को शुरू हुई, जब गोविंद लाल को खुद को TRAI (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) का अधिकारी बताकर कॉल की गई।
🎭 ऐसे रचा गया साइबर ठगी का नाटकीय जाल
Step-by-Step ठगी की पूरी स्क्रिप्ट:
- पहला कॉल: गोविंद लाल को बताया गया कि उनके दो मोबाइल नंबर बंद किए जा रहे हैं।
- आरोप: कहा गया कि उनके खिलाफ मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज है।
- वीडियो कॉल पर ‘CO पुलिस अधिकारी’ बना युवक सामने आया और थाने पहुंचने को कहा।
- डराया गया: कहा गया कि उनके बैंक खातों में मनी लॉन्ड्रिंग ट्रांजैक्शन हुई है और उन्हें मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश होना होगा।
- व्हाट्सएप कॉल: अगले दिन एक अन्य युवक ने खुद को ‘चीफ जस्टिस’ बताकर झांसा दिया कि सहयोग करें तो न्याय मिलेगा।
- भरोसा दिलाया: कहा गया कि बैंक अकाउंट की जांच के लिए रकम एक ‘सुरक्षित खाते’ में ट्रांसफर करें, और जांच पूरी होने पर पैसा वापस मिल जाएगा।
🔒 क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’?
डिजिटल अरेस्ट एक नई साइबर ठगी तकनीक है जिसमें पीड़ित को वीडियो कॉल, डराने-धमकाने और फर्जी कानूनी झूठ बोलकर मानसिक रूप से काबू में कर लिया जाता है। फिर उसे ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए ठगों के बताए खातों में पैसे ट्रांसफर करने को मजबूर किया जाता है।
💰 कैसे ठगे गए 90 लाख रुपये?
दो घंटे की मानसिक और डिजिटल कैद में गोविंद लाल ने कई चरणों में:
- बैंक ड्राफ्ट के जरिए
- RTGS/NEFT जैसे माध्यमों से
- ठगों द्वारा बताए खातों में 90.05 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
👮♂️ पुलिस की कार्रवाई
गाजियाबाद के एडीसीपी क्राइम पियूष कुमार सिंह ने बताया कि पीड़ित की शिकायत पर केस दर्ज कर लिया गया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और साइबर सेल को भी सक्रिय किया गया है।
🛡️ खुद को कैसे बचाएं? — साइबर फ्रॉड से सुरक्षा के उपाय
अगर आप भी इस तरह की किसी स्थिति का सामना करें, तो तुरंत सतर्क हो जाएं:
✅ कोई भी वीडियो कॉल पर खुद को अधिकारी बताएं तो सावधान रहें
✅ पुलिस या कोर्ट संबंधित मामला है तो नजदीकी थाने में जाकर सत्यापन करें
✅ किसी भी अनजान खाते में पैसे ट्रांसफर न करें
✅ तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें
✅ घटना की जानकारी www.cybercrime.gov.in पर दें
🔍 क्यों हो रहा है इस तरह का फ्रॉड?
- डिजिटल तकनीकों के बढ़ते उपयोग के साथ साइबर अपराधी भी हाईटेक हो गए हैं।
- बुजुर्गों और रिटायर्ड लोगों को आसानी से डराया जा सकता है, इसलिए वे मुख्य निशाना बनते हैं।
- कानून, न्यायालय और पुलिस का नाम लेकर लोगों को मानसिक दबाव में लाकर ठगना आम होता जा रहा है।
✍️ निष्कर्ष
यह मामला एक चेतावनी है कि डिजिटल युग में जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। 74 वर्षीय गोविंद लाल सोनी के साथ हुई यह घटना न सिर्फ चौंकाती है, बल्कि यह बताती है कि कैसे हाईटेक अपराधी आम लोगों को अपने जाल में फंसा सकते हैं।
सरकार, पुलिस और आम नागरिकों को मिलकर ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सतर्कता और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देना होगा।