ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में एक विवाह समारोह उस वक्त अफरातफरी में बदल गया जब नशे में धुत एक पुलिसकर्मी ने बिना बुलाए शादी में पहुंचकर देसी कट्टे से ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इस घटना में 10 साल की मासूम बच्ची डॉली गंभीर रूप से घायल हो गई। पीड़ित परिवार का आरोप है कि पुलिस ने 24 घंटे तक आरोपी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद आरोपी की गिरफ्तारी हुई।
क्या है पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक, ग्वालियर शहर के थाना हजीरा क्षेत्र स्थित राजीव आवास में सिकरवार परिवार के यहां मंगलवार को शादी समारोह चल रहा था। घर में खुशियों का माहौल था, गीत-संगीत और डांस का दौर चल रहा था। इसी बीच, हजीरा थाने में पदस्थ पुलिसकर्मी सरदार सिंह तोमर शराब के नशे में वहां पहुंच गया।
देसी कट्टे से ताबड़तोड़ फायरिंग
नशे में धुत पुलिसकर्मी ने देसी कट्टे से एक के बाद एक कई फायरिंग कर दी। फायरिंग के दौरान कट्टे से निकले छर्रे वहीं मौजूद बच्ची डॉली के चेहरे पर जा लगे, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। डॉली फिलहाल अस्पताल में भर्ती है और उसका इलाज जारी है।
परिजनों का आरोप, कार्रवाई में देरी
पीड़ित परिवार का आरोप है कि घटना की जानकारी पुलिस को तत्काल दी गई, लेकिन आरोपी पुलिसकर्मी खुद हजीरा थाने में पदस्थ होने के कारण शुरुआत में कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई। परिवार का कहना है कि उन्हें न्याय मिलने में देरी हो रही थी।
सोशल मीडिया पर मामला वायरल, आरोपी गिरफ्तार
घटना सोशल मीडिया पर वायरल होते ही पुलिस हरकत में आई। हजीरा थाना पुलिस ने आरोपी सरदार सिंह तोमर को गिरफ्तार कर लिया है। उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब तक फायरिंग में इस्तेमाल किया गया अवैध देसी कट्टा बरामद नहीं हो सका है।
कट्टा नाले में फेंकने की बात कबूल
पूछताछ के दौरान सरदार सिंह तोमर ने पुलिस को बताया कि फायरिंग के बाद उसने कट्टा पास में बह रहे नाले में फेंक दिया। पुलिस ने नाले में कट्टे की तलाश की, लेकिन अब तक उसे बरामद नहीं किया जा सका है। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।
स्थानीय लोग और परिजनों में आक्रोश
घटना के बाद स्थानीय लोगों और परिजनों में जबरदस्त आक्रोश है। लोग पुलिस से आरोपी पर कड़ी कार्रवाई और बच्ची को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं।
पुलिस पर उठ रहे सवाल
इस मामले ने एक बार फिर पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर लोग यह भी कह रहे हैं कि अगर आरोपी आम नागरिक होता तो पुलिस तुरंत सख्त कार्रवाई करती, लेकिन पुलिसकर्मी होने के कारण कार्रवाई में देरी की गई।
निष्कर्ष
ग्वालियर की इस घटना ने शहर में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। सवाल यह है कि जब पुलिसकर्मी ही कानून तोड़ने लगें तो आम नागरिक कैसे सुरक्षित रहेंगे? पीड़ित परिवार और स्थानीय लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि प्रशासन मामले की निष्पक्ष जांच कर आरोपी को कड़ी सजा दिलाएगा।
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