बॉलीवुड में अक्सर ग्लैमर, विवाद और चकाचौंध की खबरें छाई रहती हैं, लेकिन कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जो दिल छू जाती हैं और सच्चे इंसानियत का एहसास कराती हैं। ऐसी ही एक अनोखी और प्रेरणादायक कहानी है दिशा झा की, जो मशहूर फिल्म निर्माता प्रकाश झा की बेटी हैं। दिशा न सिर्फ एक सफल फिल्म प्रोड्यूसर हैं, बल्कि उनकी जिंदगी की शुरुआत ही एक चौंकाने वाली घटना से हुई थी — जब वह एक थिएटर की सीट के नीचे लावारिस हालत में मिली थीं।
सामाजिक मुद्दों पर फिल्में बनाने वाले प्रकाश झा की अनसुनी कहानी
नेशनल अवॉर्ड विनर प्रकाश झा, जो आश्रम जैसी चर्चित वेब सीरीज और सामाजिक मुद्दों पर बनी फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, उनके जीवन की यह निजी कहानी बहुत कम लोग जानते हैं। फिल्म और टेलीविजन संस्थान (FTII) में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने तय कर लिया था कि वह शादी करें या न करें, एक बेटी जरूर गोद लेंगे।
1982 में, orphanage (अनाथालय) के बच्चों के साथ बनाई गई उनकी शॉर्ट फिल्म श्रीवत्स ने उनके मन में यह जज्बा और मजबूत कर दिया।
निजी जिंदगी में दर्द, पर दिल से किया गया फैसला
1985 में, प्रकाश झा ने मशहूर अभिनेत्री दीप्ति नवल से शादी की। दोनों एक परिवार बसाना चाहते थे, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था। दीप्ति नवल को 8 महीने की प्रेग्नेंसी में मिसकैरेज हो गया। इस गहरे दुख ने दोनों के रिश्ते में खटास ला दी और आखिरकार वे अलग हो गए।
लेकिन इस दर्द के बावजूद, प्रकाश झा का संकल्प कायम रहा — वह एक बच्ची को गोद जरूर लेंगे।
थिएटर की सीट के नीचे मिली बच्ची बनी घर की रौशनी
1988 में, एक दर्दनाक घटना ने दिशा झा को और उनके पिता को एक-दूसरे से जोड़ा। दिल्ली के एक सिनेमा हॉल में, एक 10 महीने की बच्ची सीट के नीचे लावारिस हालत में मिली थी। बच्ची के शरीर पर चूहे, कीड़े और मकड़ियों के काटने के निशान थे, और उसकी हालत बेहद नाजुक थी।
जैसे ही प्रकाश झा को इसकी खबर मिली, वह तुरंत अनाथालय पहुंचे। बच्ची को घर लाए, उसका इलाज करवाया और कानूनी प्रक्रिया पूरी करके उसे गोद ले लिया।
भले ही दीप्ति नवल से उनका तलाक हो चुका था, लेकिन उन्होंने भी इस फैसले में पूरा साथ दिया।
एक जिम्मेदार पिता और बेटी की परवरिश
दिशा झा की देखभाल प्रकाश झा ने खुद की। उन्हें नहलाना, खाना खिलाना, यहां तक कि शूटिंग सेट पर भी साथ ले जाना — उन्होंने हर जिम्मेदारी निभाई। दिशा के एक साल की उम्र में उन्हें पटना में अपनी मां के पास छोड़ा, ताकि उनकी देखरेख अच्छे से हो सके। लेकिन जब दिशा चार साल की थीं, उनकी दादी का निधन हो गया। इसके बाद से दिशा की परवरिश की पूरी जिम्मेदारी प्रकाश झा ने संभाली।
बॉलीवुड में अपना मुकाम बना चुकी हैं दिशा झा
आज दिशा झा खुद को एक सफल फिल्म निर्माता के तौर पर स्थापित कर चुकी हैं। 2019 में, उन्होंने अपने पिता के साथ मिलकर फिल्म फ्रॉड सैंया का सह-निर्माण किया। इसके बाद उन्होंने खुद का प्रोडक्शन हाउस शुरू किया — Pan Papers Season Entertainment।
बॉलीवुड में उनकी पहचान लगातार मजबूत हो रही है और उनकी यह यात्रा बताती है कि अगर जज्बा और हौसला हो, तो कोई भी हालात आपको आगे बढ़ने से रोक नहीं सकते।
ये कहानी सिर्फ गोद लिए जाने की नहीं, इंसानियत की मिसाल है
प्रकाश झा ने एक बच्ची को सिर्फ घर नहीं दिया, बल्कि उसे प्यार, सम्मान और जिंदगी का हक दिया। उनकी कहानी बताती है कि जब दिल बड़ा हो, तो समाज की सीमाएं कोई मायने नहीं रखतीं।
आज दिशा झा की सफलता इस बात का सबूत है कि प्यार, परवरिश और सही मार्गदर्शन से कोई भी बच्चा अपनी किस्मत बदल सकता है।
मुख्य बातें एक नजर में:
✔️ प्रकाश झा ने 1988 में दिल्ली के थिएटर में मिली लावारिस बच्ची को गोद लिया।
✔️ निजी जीवन की मुश्किलों के बावजूद उन्होंने बेटी को अकेले पाला।
✔️ दिशा झा आज एक सफल फिल्म निर्माता हैं और खुद का प्रोडक्शन हाउस चला रही हैं।
✔️ यह कहानी इंसानियत, दया और मजबूत इरादों की मिसाल है।